कैसे करें किडनी रोग का निदान- डॉ. मनोज अग्रवाल

किडनी की बीमारी से निदान पाने के लिए, आपका पहले कदम डॉक्टर से सलाह लेना होना चाहिए। लेकिन ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें इस बीमारी का पता काफी बाद में चलता है। यही वजह है की ये उनके लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है।

 

अन्य बातों के अलावा, आपको अपनी जीवनशैली में भी सुधार करने की जरुरत है। क्योंकि इसका सीधा असर आपके स्वास्थ से सम्बंधित होता है। किडनी रोग का निदान करने के लिए आपको ये जानना जरुरी है की इसके लक्षण क्या होते है।

 

 

किडनी रोग के लक्षण 

 

 

  • जी मिचलाना

 

 

  • भूख में कमी

 

  • थकान और कमजोरी

 

 

  • पेशाब करने में जलन होना

 

  • बार-बार पेशाब जाना

 

  • मांसपेशियों में ऐंठन

 

  • पैरों और टखनों में सूजन

 

 

  • उच्च रक्तचाप

 

 

जब किसी व्यक्ति की किडनी ख़राब होती है, तो उस व्यक्ति में इनमें से कोई भी लक्षण देखे जा सकते है। यदि एक बार किडनी ख़राब हो जाए तो उस व्यक्ति को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसमें सबसे पहले आता है उनका आहार क्योंकि ये किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

 

 

किडनी रोग के कारण 

 

 

  • धूम्रपान : धूम्रपान शरीर में कई बीमारियों को पैदा करता है जो लोग धूम्रपान करते है, उनमें सामान्य लोगों के मुकाबले रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होने लगती है।

 

 

  • शराब का सेवन : किडनी ख़राब होने का सबसे बड़ा कारण है बहुत अधीक शराब का सेवन करना, इसके सेवन से किडनी पर ज्यादा काम करने का दबाव पड़ता है।

 

 

  • मोटापा : जो लोग बहुत मोटे होते है उनमें भी कई बीमारी होने का खतरा रहता है। इसलिए कोशिश करें की अपना वजन नियंत्रण में रखें।

 

  • पारिवारिक इतिहास : किडनी की बीमारी आपको तब भी हो सकती है जब यह आपके परिवार में से किसी सदस्य को रही हो।

 

 

  • ज्यादा उम्र होना : इस बीमारी के होने की एक वजह आप अधिक उम्र को भी मान सकते है। क्योंकि एक समय के बाद आप के शरीर के अंग काफी पुराने होने लगते है।

 

 

किडनी रोग अन्य अंगों को भी पहुँचाता है नुकसान 

 

 

  • आपके हाथ और पैर में सूजन, उच्च रक्तचाप, या आपके फेफड़ों में तरल पदार्थ का भरना (एडिमा),

 

  • आपके रक्त में पोटैशियम के स्तर में अचानक वृद्धि (हाइपरकेलेमिया), जो आपके दिल की कार्य करने की क्षमता को बिगाड़ सकती है और यह आपके लिए जानलेवा हो सकती है। हृदय और रक्त वाहिका की बीमारी,

 

  • हड्डियां कमजोर होना और हड्डी में फ्रैक्चर का जोखिम ज्यादा होना,

 

  • सेक्स करने की इच्छा में कमी या महिलाओं की प्रजनन क्षमता में कमी,

 

 

एक किडनी रोगी को अपने स्वास्थ का बहुत ध्यान रखना चाहिए नहीं तो उसकी जरा सी लापरवाही उसके शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। तो ऐसे में आप किडनी रोग का निदान कैसे करें, आइये जानते है।

 

 

कैसे करें किडनी रोग का निदान 

 

 

जब आपको किडनी की बीमारी होती है तो आपका डॉक्टर सबसे पहले ये पूछता है की क्या इससे पहले आपके परिवार में किडनी की बीमारी किसी को थी या नहीं। अन्य बातों के अलावा, आपका डॉक्टर इस बारे में प्रश्न पूछ सकता है कि क्या आपको रक्तचाप की समस्या भी रहती है। यदि आप कोई ऐसी दवा लेते है, जो किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है। अगर आपने अपनी पेशाब से जुड़ी आदतों में बदलाव देखा है तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और उनके कहने पर जाँच करानी चाहिए।

 

 

ब्लड टेस्ट 

 

किडनी फंक्शन टेस्ट के लिए डॉक्टर उस व्यक्ति को रक्त में क्रिएटिन और यूरिया जैसे अपशिष्ट उत्पादों के स्तर का पता इस ब्लड टेस्ट करने से चलता है, इस टेस्ट के बाद ही डॉक्टर किसी तरह का निर्णय लेते हैं।

 

 

यूरिन टेस्ट

 

आपके पेशाब के नमूने का विश्लेषण करने से पता चलता है कि क्रोनिक किडनी की विफलता के क्या संकेत होते हैं और क्रोनिक किडनी रोग के कारण की पहचान करने में डॉक्टर की मदद करते है।

 

 

इमेजिंग टेस्ट

 

कई बार डॉक्टर आपके किडनी की जाँच के लिए उसके आकार का आकलन करने के लिए अल्ट्रासाउंड कराने की भी सलाह देते हैं। कुछ मामलों में अन्य इमेजिंग परीक्षणों का उपयोग भी किया जा सकता है।

 

 

किडनी टिशूज टेस्ट

 

आपका डॉक्टर किडनी के टिशूज का एक सैंपल निकालने के लिए किडनी की बायोप्सी कर सकता है। किडनी की बायोप्सी के लिए अक्सर एक लंबी, पतली सुई का उपयोग किया जाता है। जो आपकी त्वचा को बिना नुकसान पहुचाएं, किडनी की बायोप्सी कर सैंपल लेकर उसकी जाँच करने में मदद करता है। जिसके आधार पर यह उसके कारणों को जानने की कोशिश करते है और इलाज के तरीको को भी ढूढ़ते है।

 

 

किडनी रोग का निदान

 

किडनी रोगी को डॉक्टर दो ही सलाह देते है, जिनमें शामिल है डाइलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट।

 

 

डायलिसिस : डायलिसिस में डॉक्टर किडनी रोगी के रक्त से अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालता है। जब आपकी किडनी ऐसा करने में असफल होती है तभी डॉक्टर उस व्यक्ति को डाइलिसिस की सलाह देते हैं। हेमोडायलिसिस में, एक मशीन आपके रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थों को फ़िल्टर करती है। पेरिटोनियल डायलिसिस में, आपके पेट में डाली गई एक पतली ट्यूब (कैथेटर) आपके पेट की गुहा को डायलिसिस समाधान से भर देती है जो अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकलती है। इसके लिए डॉक्टर समय-समय पर किडनी के मरीज को बुलाते हैं।

 

किडनी ट्रांसप्लांट : किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एक स्वस्थ किडनी को आपके शरीर में दोबारा ट्रांसप्लांट किया जाता है। ट्रांसप्लांट की गई किडनी के लिए आपको दवाई का सेवन भी करना पड़ता है। ऐसा होने के बाद आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए की ट्रांसप्लांट की गई किडनी को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए। किडनी ट्रांसप्लांट करने के बाद आपको डायलिसिस कराने की आवश्यकता नहीं है।


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