क्रोनिक किडनी डिजीज -जाने इसके होने के मुख्य कारण, लक्षण और उपचार

किडनी के रोगों में, क्रोनिक किडनी डिजीज बहुत ही गंभीर रोग है, क्योंकि इस रोग को खत्म करने की कोई दवा अबतक उपलब्ध नहीं हुई है। पिछले कई सालों से इस रोग के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होती ही जा रही है। किडनी की बिमारी दस में से एक व्यक्ति को होती ही है।

 

 

किडनी रोग होने के ये मुख्य कारण हो सकते है 

 

डायबिटीज, उच्च रक़्तचाप (हाइपरटेंशन), पथरी इत्यादि ये सारे रोग मुख्य रूप से जिम्मेदार है। किडनी को नुकसान पहुँचाने के और भी बहुत सारे कारण हो सकते हैं, पर डायबिटीज और उच्च रक़्तचाप (हाइपरटेंशन) इसके दो प्रमुख कारण हैं। तो चलिए हम आपको क्रोनिक किडनी डिजीज के मुख्य कारणों के बारे में बताते है।

 

डायबिटीज

 

आज डायबिटीज एक आम समस्या बन गयी है। डायबिटीज, क्रोनिक किडनी डिजीज होने का सबसे आम कारण है। डायबिटीज आपके किडनी के फंक्शन को धीरे-धीरे कम कर देता है। और साथी ही शुगर की उच्च मात्रा किडनी में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिस वजह से क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण बनती है।

 

उच्च रक़्तचाप (हाइपरटेंशन)

 

क्रोनिक किडनी डिजीज के होने का एक अन्य आम कारण उच्च रक्तचाप है, जिसे हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है। उच्च रक्तचाप किडनी के कामकाज को प्रभावित करता है। भले ही किडनी की समस्या किसी और कारण से हुई हो, लेकिन हाइपरटेंशन इसे और भी खराब कर देता है।

 

संकुचित गुर्दे धमनी

 

गुर्दे की धमनी किडनी के सारे काम को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही यह किडनी के लिए रक्त वहन करने का काम भी करती है। इस प्रकार से संकुचित गुर्दे धमनी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। यह क्रोनिक किडनी की समस्याओं के सामान्य कारणों में से एक है।

 

ड्रग्स और विषाक्त पदार्थ

 

ज्यादा समय तक दवाओं और केमिकल का इस्तेमाल करना आपके किडनी को नुकसान पहुँचा सकता है, जो की किडनी की कार्यक्षमता को रोकता है और शरीर के लिए भी बहुत नुकसानदेह होता है।

 

सिगरेट

 

सिगरेट के एक कश से आप तनाव को भले ही कुछ समय के लिए भूल जाते है, लेकिन यह आदत शरीर के कई हिस्सों के लिए बहुत ही खतरनाक होती है। धूम्रपान, फेफड़ों और दिल ही नहीं, बल्कि किडनी के लिए भी बहुत खतरनाक है। सिगरेट किडनी पर इस हद तक असर डालता है कि, वे काम करना बंद भी कर सकते हैं। और इस वजह से यह क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण बनती है।

 

शराब

 

किडनी का काम ब्लड से विषाक्त पदार्थो को फिल्टर करने का होता हैं। लेकिन शराब किडनी के ब्लड को फिल्टर करने की क्षमता को बाधित कर शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी के संतुलन को असामान्य कर देती हैं। जिस वजह से किडनी रोग होता है।

 

सोडियम का अधिक मात्रा में सेवन

 

सोडियम सीधे किडनी को प्रभावित करता है, क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को बनाए रखने में मदद करता हैं। और बहुत ज्यादा सोडियम का सेवन हाई बीपी को बढ़ावा देता है। इसलिए यह कहा जाता है कि, किडनी से सम्बन्धित समस्या होने पर हमें सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थ नही लेने चाहिए।

 

डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, चिप्स, फास्ट फूड, जमे हुए भोजन, प्रसंस्कृत पनीर स्लाइस, नमक, प्रसंस्कृत मांस, मसालेदार खाद्य पदार्थ और केचप यह सभी सोडियम सामग्री के साथ पैक खाद्य पदार्थ हैं।

 

 

क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण

 

क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण किडनी की क्षति की गंभीरता के आधार पर बदलते है। सी.के.डी. को पाँच चरणों में बाँटा गया है। किडनी की कार्यक्षमता केअनुसार या eGFR के स्तर पर इसे बाँटा गया है। eGFR का अनुमान रक्त में मौजूद क्रीएटिनिन की मात्रा से पता लगाते हैं। सामान्यतः eGFR 90ml/min से ज्यादा होता है।

 

 

सी.के.डी. का पहला स्टेज

 

क्रोनिक किडनी डिजीज के पहले स्टेज में किडनी की कार्यक्षमता 90 – 100 % होती है। इस स्थिति में eGFR 90 ml/min से ज्यादा रहता है। इस स्टेज में मरीजों में कोई लक्षण दिखने शुरू नहीं होते हैं।

 

इस स्टेज में , पेशाब में असामान्यताएँ हो सकती है- जैसे पेशाब में प्रोटीन जाना। सी. टी. स्कैन या सोनोग्राफी से सी.के.डी. नामक बीमारी का पता लग जाता है।

 

 

सी.के.डी. का दूसरा स्टेज

 

इसमें eGFR 60-89 ml/min होता है। इन मरीजों में किसी भी प्रकार का कोई लक्षण नहीं पाया जाता है। पर कुछ मरीजों को इस स्टेज में रात को बार-बार पेशाब जाना या उच्च रक्तचाप होना आदि शिकायतें होने लगती है।

 

क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीज में खून का दबाव बहुत ही ज्यादा बढ़ सकता है।

 

 

सी.के.डी. का तीसरा स्टेज

 

इसमें eGFR 30-59 ml/min होता है। मरीज अक्सर बिना किसी लक्षण के या थोड़ा लक्षण दिखने पर भी चेकअप करा सकते है। इनकी पेशाब जाँच में कुछ असामान्यताएं एवं रक्त जाँच में सीरम क्रीएटिनिन की मात्रा थोड़ी बढ़ सकती है।

 

 

सी.के.डी. का चौथा चरण

 

क्रोनिक किडनी डिजीज की चौथी स्टेज में eGFR में या किडनी की कार्यक्षमता में 15-29 ml/min तक की कमी आ सकती है। इस स्टेज में लक्षण दिखने शुरू हो जाते है। यह किडनी से जुडी बीमारी के कारणों पर निर्भर करता है।

 

 

सी.के.डी. का पाँचवा स्टेज

 

इस स्टेज में 15 % किडनी के कार्यक्षमता कम हो जाती है। ये स्टेज बहुत गंभीर होती है। इसे किडनी डिजीज की अंतिम अवस्था भी कहते हैं।

 

ऐसी अवस्था में मरीज को डायालिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है। इस स्टेज में मरीजों में लक्षण स्पष्ट दिखने लगते है और उनके जीवन के लिए खतरा और और भी बढ़ जाती है।

 

 

एन्ड स्टेज किडनी डिजीज के सामान्य लक्षण

 

प्रत्येक मरीज में किडनी खराब होने के लक्षण और उसकी गंभीरता अलग-अलग होती है। रोग की इस स्टेज में पाये जाने वाले लक्षण-

 

  • जी मिचलाना,

 

 

  • पैरों के निचले हिस्से में सूजन आना,

 

  • थोड़ा काम करने पर थकावट महसूस होना,

 

  • साँस फूलना,

 

  • खाने में अरुचि होना,

 

  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना,

 

  • रात के समय बार-बार पेशाब जाना,

 

  • नींद की समस्या होना,

 

  • स्त्रियों के मासिक में अनियमितता,

 

  • हड्डियों में दर्द होना, क्रोनिक किडनी डिजीज के अधिकांश मरीजों के मुख्य लक्षण है।

 

 

क्रोनिक किडनी डिजीज रोगियों को इन चीजों का रखना चाहिए ध्यान

 

 

  • धूम्रपान छोड़ें ,

 

 

 

  • वजन को नियंत्रण में रखें,

 

  • नमक की मात्रा कम रखें,

 

  • तम्बाकू, गुटखा तथा शराब का सेवन ना करे,

 

  • किडनी के डॉक्टर से समय-समय पर मिलते रहे और जांच कराते रहे,

 

  • किडनी को नुकसान पहुँचानेवाली दवाएं जैसे – कोई एटिबायोटिक्स, दर्दनाशक दवाइँ का प्रयोग नहीं करना चाहिए,

 

  • अगर आपको दस्त – उलटी, मलेरिया, सेप्टीसीमिया आदि जैसी बीमारियाँ हो तो तुरंत उपचार लेना चाहिए,

 

  • किडनी को सीधे तौर पर नुकसान करनेवाले रोगों जैसे पथरी, मूत्रमार्ग का संक्रमण का समय पर तुरंत ही डॉक्टर से चेकअप कराये।

 

 

क्रोनिक किडनी डिजीज के उपचार तीन प्रकार के है

 

 

  • दवा और परहेज

 

  • डायालिसिस

 

  • किडनी प्रत्यारोपण (kidney transplant)

 

क्रोनिक किडनी डिजीज के शरुआत में, जब किडनी ज्यादा खराब नहीं हुई होती है, तब उस स्थिति में दवा और आहार में परहेज से इलाज किया जा सकता है।

 

दोनों किडनी ज्यादा खराब होने की वजह से इसकी कार्यक्षमता में कमी आ जाती है , तब रोगियों को डायालिसिस कराने की जरुरत होती है और उनमें से कई रोगी किडनी प्रत्यारोपण (kidney transplant) उपचार कराते है।

 

किडनी को होने वाले किसी भी नुकसान को रोकने के लिए, डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवायें लें। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिए किडनी रोग के डॉक्टर – नेफ्रोलॉजिस्ट या फिजिशियन ही करते हैं और उनके द्वारा बताये गए दवाओं का ही सेवन करे। क्रोनिक किडनी डिजीज में खान-पान का ध्यान रखने से किडनी खराब होने से बचाई जा सकती है।

 

 

 

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