जानिए दिल की नसें कमजोर होने वाली बीमारियां और इनका इलाज कैसे होता है?

आज के दौर में युवाओं में भी हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर जैसी समस्याएं अब काफी देखने को मिल रही हैं। हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या के पीछे सबसे बड़ा कारण आज की बदलती जीवनशैली और गलत खान-पान है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में हृदय रोग के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल से जुड़ी बिमारियों में आपको शुरू से ही कई लक्षण नजर आने लगते हैं।

 

हृदय में कई रक्त वाहिकाएं, धमनियां मौजूद होती हैं, जिनका काम शरीर के अन्य अंगों तक में रक्त पहुंचाना होता है। दिल की बीमारियों से पीड़ित करीब 12 से 15 फीसदी लोगों की मौत 40 साल से कम उम्र में ही जो जाती हैं, जिसका अनुपात लगातार बढ़ रहा है। डॉक्टर का कहना है कि ये मामले लगभग 25 से 30 प्रतिशत की दर से लगातार बढ़ रहे हैं।

 

अगर हृदय की नसों में समस्या है तो आपको दिल का दौरा और हार्ट फेलियर भी हो सकता है इसका पता तब चलता है जब आपको हार्ट की बीमारी से सम्बंधित बिमारी के लक्षण दिखते हैं। इस वजह से आपको हार्ट ब्लॉकेज की समस्या भी हो सकती है। कई बार दिल की आंतरिक स्वास्थ्य स्थिति और जीवनशैली और खान-पान संबंधी कारणों से लोगों के दिल की नसें कमजोर हो जाती हैं, जिससे आपको कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं दिल की नसें कमजोर क्यों होती हैं और इससे क्या समस्याएं हो सकती हैं?

 

 

 

दिल की नसे कमजोर करने वाली बीमारियां कौन सी हैं? (What condition affects the heart disease in Hindi)

 

उच्च रक्त चाप: उच्च रक्तचाप और उच्च रक्तचाप दिल के दौरे के मुख्य कारणों में से एक हैं। आम तौर पर, जब आपकी नसों पर रक्तचाप अधिक हो जाता है और रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है, तो आपके दिल के लिए रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ता है।

 

बढ़ता वजन :मोटापा दिल के दौरे की संभावना को 10 गुना तक बढ़ा देता है। दरअसल मोटे लोगों को शरीर के जरूरी अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए ज्यादा खून की जरूरत होती है। जिससे उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और हार्ट अटैक का मुख्य कारण बन जाता है।

 

धूम्रपान:धूम्रपान हृदय रोगों के लिए दूसरा सबसे बड़ा जोखिम कारक है। धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वाले वयस्कों में दिल के दौरे का खतरा बहुत अधिक होता है। कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि धूम्रपान से दिल की बीमारियों का खतरा 8 गुना तक बढ़ जाता है।

 

डिप्रेशन: डिप्रेशन से स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होते हैं और शरीर में इंफ्लेमेटरी केमिकल्स बढ़ जाते हैं, जो आपकी नसों को संकरा बनाने का काम करते हैं। इतना ही नहीं, वे जीवनशैली कारकों को भी प्रभावित करते हैं, जो सीधे आपके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। मानसिक समस्याएं आपके हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाने का काम करती हैं।

 

बैड कोलेस्ट्रॉल: ब्लड कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है पहला एलडीएल और दूसरा एचडीएल। LDL को लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कहा जाता है, जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है, जो हमारे दिल की नसों में प्लाक जमा करने में मदद करता है। इससे रक्त का प्रवाह शरीर के अन्य भागों में नहीं जाता और आपका शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है।

 

 

 

दिल की बीमारी के लिए इलाज (Treatment for heart disease in Hindi)

 

 

दिल की विफलता एक ऐसी बीमारी है जिसे आजीवन प्रबंधन की आवश्यकता होती है। हालांकि, उपचार के साथ, दिल की विफलता के लक्षण और लक्षणों में सुधार हो सकता है, और दिल कभी-कभी मजबूत हो जाता है। हृदय संबंधी उपकरणों को प्रत्यारोपित करने के लिए सर्जरी या अन्य प्रक्रियाओं की सिफारिश की जा सकती है ताकि अंतर्निहित समस्या का इलाज किया जा सके जिससे दिल की विफलता हुई। दिल की विफलता के लिए सर्जरी या अन्य प्रक्रियाओं में शामिल हो सकते हैं:

 

 

  • इम्प्लांटाब्ले योग्य कार्डियोवर्टर-डिफाइब्रिलेटर

 

 

 

  • इम्प्लांटाब्ले कार्डियोवर्टर-डिफाइब्रिलेटर

 

  • हार्ट वाल्व रिपेयर या रिप्लेसमेंट

 

  • हार्ट ट्रांसप्लांट

 

 

दिल की बीमारी के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल (Best Hospital for heart disease treatment in Hindi)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यदि आप इनमें से किसी भी अस्पताल में इलाज करवाना चाहते हैं तो हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं।

 

 

दिल की नसें कमजोर होने का कारण क्या है? (What is the reason for the weakening of the veins of the heart in Hindi)

 

 

दिल की नसों का कमजोर होने से हार्ट अटैक का खतरा और बढ़ जाता है। इस वजह से हार्ट अटैक के अलावा और भी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। डॉक्टर के मुताबिक दिल की नसों में कमजोरी के कई कारण हो सकते हैं। इसके पीछे आपका खान-पान और रहन-सहन भी जिम्मेदार माना जाता है। हृदय की नसों के कमजोर होने के पीछे यही मुख्य कारण माने जाते हैं।

 

 

दिल की नसे कमजोर होने के लक्षण (heart disease symptoms in Hindi)

 

 

  • थकावट महसूस होना

 

  • सांस लेने में परेशानी होना

 

  • छाती में दबाव महसूस करना

 

 

  • ब्लड प्रेशर हाई रहना

 

  • अक्सर बेचैनी होना

 

  • पैरों में अक्सर दर्द बने रहना

 

  • लगातार सर्दी और जुकाम बने रहना

 

  • पैर में अक्सर सूजन रहना

 

 

दिल को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें (What to do to keep heart healthy in Hindi)

 

  • वजन कम करने के लिए अगर आप एक्सरसाइज करते हैं, तो रोजाना एक्सरसाइज के पैटर्न को चेंज करें

 

  • दिन में कम से कम 10000 स्टेप्स जरूर चलें

 

  • हेल्दी डाइट का सेवन करें। तली-भुनी चीजों का सेवन न करें

 

  • तंबाकू का सेवन ना करें

 

  • स्ट्रेस लेवल कम रखें। इसके लिए रोजाना योगा, मेडिटेशन करें

 

  • दिल को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए सुझाव को अच्छे से फॉलो करेँ।

 

  • अगर आपको हार्ट की समस्याओं से जुड़े शरीर में कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि गंभीर स्थितियों से बचा जा सके।

 

 

दिल की बीमारी का पता लगाने के लिए टेस्ट (Tests to diagnose heart disease in Hindi)

 

 

शारीरिक परीक्षण के बाद, आपका डॉक्टर भी इनमें से कुछ परीक्षणों का आदेश दे सकता है:

 

  • रक्त परीक्षण

 

  • छाती का एक्स – रे

 

  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम

 

  • इकोकार्डियोग्राम

 

  • स्ट्रेस टेस्ट

 

  • सीटी स्कैन

 

  • एमआरआई

 

  • कोरोनरी एंजियोग्राम

 

  • मायोकार्डियल बायोप्सी

 

इन टेस्ट की मदद से आपका डॉक्टर दिल की बीमारी का पता लगाता है और उसके बाद वह यह निर्णय लेता है कि मरीज के लिए कौन सी हार्ट सर्जरी सबसे अच्छी रहेगी। यदि आप दिल की बीमारी का इलाज कराना चाहते हैं या इससे सम्बंधित किसी भी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें या आप हमसे व्हाट्सएप (+91 9599004311) पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा आप हमारी सेवाओं के संबंध में हमें Connect@gomedii.com पर ईमेल भी कर सकते हैं। हमारी टीम जल्द से जल्द आपसे संपर्क करेगी। हम आपका सबसे अच्छे हॉस्पिटल में इलाज कराएंगे।

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