जाने लिवर रोग का इलाज कहां करवाएं

लिवर शरीर का महत्वपूर्ण अंग होता हैं यह पेट के दाहिने और रिब पिंजरे के निचे होता हैं। भोजन पचाने के लिए लिवर अत्यधिक आवश्यक होता हैं। लिवर में किसी प्रकार की खराबी और बीमारी होने के कारण लिवर कुशलतापूर्वक काम करना बंद कर देता हैं तथा शरीर के अन्य अंगो को भी प्रभावित करता हैं।

 

लिवर रोग कई प्रकार के होते हैं जो आमतौर पर उनके कारणों पर निर्भर करते हैं। लिवर की बीमारी अधिकतर जानलेवा साबित होती हैं तो इसका सही समय पर इलाज कराना आवश्यक होता हैं। लिवर की स्थिति बिगड़ती हैं तो इसका परिणाम हेपेटाइटिस, यकृत की सूजन या फिर यकृत कैंसर जैसी बीमारी हो सकती हैं। लिवर की बीमारी के लक्षण जल्दी से प्रकट नहीं होते हैं यदि लक्षण जल्दी विकसित हो जाये तो उचित निदान और उपचार के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श ले।

 

 

 

लिवर रोग के प्रकार।

 

 

लिवर रोग के निम्नलिखित प्रकार होते हैं –

 

  • फैटी लिवर (fatty liver): फैटी लिवर एक सीरियस मेडिकल कंडीशन होती हैं जिसमें लिवर में फैट (चर्बी) जमा हो जाती हैं जिसका कारण अधिक अनावश्यक दवाइयाँ तथा शराब का सेवन करने से होता हैं। फैटी लिवर के अन्य कारणों में मोटापा और अनियंत्रण जीवनशैली भी शामिल हैं।

 

  • नॉन -अल्कोहलिक फैटी लिवर(non-alcoholic fatty liver): नॉन -अल्कोहलिक फैटी लिवर जैसी बीमारी का सम्बन्ध ज्यादातर खान-पान और जीवनशैली से जुड़ा हुआ होता हैं। यह बीमारी अधिकतर उन व्यक्तियों को होती हैं जो खान-पान को लेकर बहुत लापरवाह होते हैं परन्तु यह बीमारी डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों से ठीक हो जाती हैं।

 

  • अल्कोहलिक फैटी लिवर(alcoholic fatty liver): अल्कोहलिक फैटी लिवर उन्हें होता हैं जो धूम्रपान तथा शराब का सेवन अपनी जीवनशैली में अधिक से अधिक करते है। अल्कोहलिक फैटी लिवर होने से लिवर पूरी तरह डैमेज हो जाता हैं जिसके लिए लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प ही चुना जाता हैं।

 

  • लिवर कैंसर (liver cancer):लिवर कैंसर को हेपेटिक कैंसर भी कहा जा सकता है, जब लिवर की कोशिकाएं असामन्य रूप से बढ़ती हैं और लिवर तथा अन्य अंगो को प्रभावित करती हैं तब लिवर कैंसर उत्पन होता हैं। यह एक जानलेवा बीमारी हैं इसका इलाज सही समय पर होना बहुत आवश्यक हैं।

 

  • हेमोक्रोमैटोसिस(hemochromatosis): भोजन में अधिक आयरन शरीर में अवशोषित करने की स्थिति को हेमोक्रोमैटोसिस (आयरन की अधिकता) कहते हैं। इस बीमारी से खून में आयरन की मात्रा अधिक हो जाती हैं अधिक आयरन शरीर में होने की वजह से वह लिवर , हृदय तथा अग्राशय और जोड़ो में जम जाता हैं यदि इस बीमारी का इलाज समय पर न हो तो इससे शरीर के अनेक अंग खराब हो सकते हैं।

 

  • लिवर सिरोसिस(liver cirrhosis): लिवर सिरोसिस लिवर की बीमारी का अंतिम चरण माना जाता हैं जिसमें लिवर फ़ैल होने से पहले लिवर पर निशान पड़ने लगते हैं उससे उससे लिवर सिरोसिस कहते हैं यह फैटी लिवर ,हेपेटाइटिस होने से होता हैं तथा पुराणी शराब का अधिक एवं करने से भी लिवर सिरोसिस होता हैं और लिवर डैमेज हो जाता हैं जिसके लिए लिवर ट्रांसप्लांट डॉक्टर द्वारा किया जाता हैं तो लिवर सिरोसिस के लिए डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक हैं।

 

  • पीलिया(jaundice): पीलिया भी लिवर से सम्बंधित एक रोग हैं जिसका बढ़ना अधिक घातक होता हैं जब लिवर में लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तब पिले रंग की बिलीरुबिन नामक पदार्थ बनता हैं जब ये पदार्थ लिवर द्वारा फ़िल्टर होकर बाहर नहीं आ पता तब पीलिया हो जाता हैं।

 

लिवर के रोग में सबसे सामान्य हेपेटाइटिस होता हैं जिसमें हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी भी शामिल होते हैं। हेपेटाइटिस वायरल इन्फेक्शन की कारण होता हैं जिसे की लिवर में सूजन आ जाती हैं।

 

 

 

लिवर की बीमारी के लक्षण।

 

 

लिवर रोग के लक्षण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –

 

  • वजन का अधिक कम होना।

 

 

  • मतली और उलटी।

 

  • भूख का कम लगना।

 

  • मूत्र का गहरा रंग।

 

 

  • त्वचा में खुजली होना।

 

  • अत्यंत थकावट होना।

 

  • पैरो की उंगलियों के बीच फंगल इन्फेक्शन क्या है।।

 

 

 

लिवर रोग होने के कारण क्या हो सकते हैं।

 

 

लिवर रोग होने के कई निम्लिखित कारण होते हैं –

 

  • अधिक शराब का सेवन करना।

 

  • अधिक धूम्रपान करना।

 

  • अधिक मोटापा।

 

  • ज्यादा दवाइयों का सेवन करना।

 

  • संक्रमण तथा अन्य बीमारियाँ।

 

कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी कराने से भी लिवर रोग हो सकता हैं।

 

 

 

लिवर रोग के इलाज किस प्रकार होते हैं ?

 

 

जब लिवर के रोग घरेलु उपाय से ठीक नहीं होते तो डॉक्टर उसके लिए सर्जिकल ट्रीटमेंट का विकल्प बताते हैं। लिवर रोग में निम्नलिखित सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता हैं –

 

  • जब लिवर का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो तो डॉक्टर क्षतिग्रस्त हिस्से को निकाल देते हैं उसके बाद जो बचा हुआ लिवर होता हैं वह अच्छे से कार्य करना शुरू कर देता हैं। हेपेटेक्टॉमी के कुछ हफ्तों बाद लिवर वापस अपने सामान्य आकार में आ सकता है।

 

  • जो लोग शराब का सेवन अपनी जीवनशैली में अधिक करते हैं उनका लिवर रोग के कारण लिवर पूरी तरह से डैमेज हो जाता हैं। लिवर डैमेज होने के बाद ख़राब लिवर को निकाल जाता हैं तथा स्वस्थ लिवर को प्लांट किया जाता हैं जिससे लिवर ट्रांसप्लांट कहते हैं।

 

  • लिवर लोग अधिकतर सामान्य स्थिति में हो तो उसका कारण संक्रमण होता है, जिसे डॉक्टर दवाइयों से ठीक करने की कोशिश करते हैं।

 

 

 

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