गर्भपात को अंग्रेजी में मिसकैरेज (miscarriage) कहा जाता हैं। यह काफी गंभीर समस्या होती हैं, गर्भावस्था होने के दौरान महिलाओ में कोई ऐसी स्थिति पैदा हो जाती हैं जिससे की गर्भपात हो जाता हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं। कई बार देखा जाता हैं कि गर्भपात होने के बाद महिलाओं को दुबारा गर्भ धारण करने में अनेक परेशानी होती हैं,क्योंकि गर्भपात के कारण महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक नहीं रह पाती हैं। गर्भपात की स्थिति तब होती हैं, जब 20वें सप्ताह में भ्रूण (embryo) की मृत्यु हो जाती हैं जिससे की महिला की प्रेगनेंसी पूर्णरूप से खत्म हो जाती हैं। भ्रूण की मृत्यु के बाद वह रक्त बनकर गर्भाशय (uterus) से बाहर निकल जाता हैं। यदि गर्भपात की समस्या दो या तीन बार होती हैं तो महिलाएं गर्भधारण (प्रेग्नेंट) करने में भी असमर्थ हो जाती हैं।
गर्भपात (मिसकैरेज) के संकेत क्या होते हैं ?
गर्भपात (मिसकैरेज) होने पर लक्षण अधिक गंभीर हो जाते हैं जिससे की पता लग जाता हैं की गर्भपात की स्थिति हैं या फिर गर्भपात हो गया हैं। डॉक्टर के अनुसार गर्भपात (मिसकैरेज) होने पर कुछ इस प्रकट के संकेत महिलाओं को मिल सकते हैं जैसे की-
- योनि से रक्तस्राव होना
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन होना
- योनि से तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होना
- योनि से उत्तक का डिस्चार्ज होना
- रक्तस्राव के दौरान खून के थक्के आना
- गर्भावस्था के लक्षणों का कम होना यानी स्तनों में दर्द और उल्टी कम होना या न होना
गर्भपात (मिसकैरेज) होने के कारण क्या हो सकते हैं ?
गर्भपात (मिसकैरेज) होने के निम्नलिखित कारण होते हैं जैसे की-
- पीसीओडी या पीसीओएस: पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (पीसीओडी) या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित महिला को गर्भपात का खतरा रहता हैं।
- क्रोमोसोमल असामान्यता: जब माता-पिता या दोनों में से किसी एक के क्रोमोसोम (chromosome) में किसी प्रकार की असमानता होती है तो गर्भपात की समस्या उतपन्न हो सकती हैं।
- प्रतिरक्षा प्रणाली समस्याएं: कई बार प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity system) से संबंधित समस्याएं भी गर्भपात का कारण बन सकती हैं।
- एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर: एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसे कि थायराइड, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण भी गर्भपात हो सकता है।
- गर्भाशय की समस्या: जब गर्भाशय का आकार उचित नहीं होता है या उसमें किसी तरह की कोई समस्या या बीमारी होती है तो गर्भपात की संभावना होती है।
गर्भपात (मिसकैरेज) होने के बाद महिलाओं को किन बातो का ध्यान अधिक रखना चाहिए ?
गर्भपात (मिसकैरेज) होने के बाद महिलाएं अधिक कमजोर हो जाती हैं जिससे की उन्हें दुबारा गर्भधारण करने में परेशानी होती हैं, इसलिए गर्भपात (मिसकैरेज) के बाद महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए जैसे की-
- गर्भपात होने के बाद यदि आपको कोई संक्रमण होता हैं तो उसे नज़रअंदाज़ न करे। गर्भपात के बाद संक्रमण होना बाँझपन का संकेत हो सकता हैं।
- खाने-पीने का अधिक ख्याल रखे, स्वस्थ आहार ले जिससे की आपकी इम्युनिटी मजबूत हो जाए ।
- जीवनशैली में बदलाव लाए तथा अपने आपको मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
- गर्भपात के बाद शराब और धूम्रपान तथा अन्य नशीले पदार्थो से दूरी बनाए।
- मिसकैरेज के कुछ समय तक संभोग से बचें |
- गर्भपात (मिसकैरेज) होने के बाद जब तक आप 2 मासिक धर्म (periods) चक्र पुरे नहीं कर लेते तब तक दुबारा गर्भधारण न करें।
गर्भपात (मिसकैरेज) के बाद होने वाली परेशानियों को कम करने के उपाय।
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग की समस्या होती है, जिसकी वजह से शरीर में कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक होता हैं तथा कुछ ऐसे घरेलु उपाय है जिससे की ब्लीडिंग और दर्द में राहत मिल सकती हैं-
- गर्भपात के बाद ब्लीडिंग की परेशानी काफी ज्यादा होने पर पेट में ऐंठन, सिरदर्द इत्यादि की समस्या बनी रहती है। इस स्थिति से बचने के लिए पेट के आसपास गर्म पानी से सिंकाई करें। इससे आपको काफी आराम महसूस हो सकता है।
- गर्भपात के कुछ सप्ताह ब्लीडिंग की समस्या बनी रहती है। इस स्थिति में महिलाओं को काफी ज्यादा कमजोरी, शरीर में आयरन की कमी, चक्कर आना जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस अवस्था में महिलाओं को आयरन से भरपूर आहार लेने की आवश्यकता होती है।
- गर्भपात के बाद शरीर में कैल्शियम की मात्रा में तेजी से गिरावट आती है। इसलिए कैल्शियम से भरपूर चीजें खाना बेहद जरूरी है। इससे आपकी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती है।
- गर्भपात के बाद पानी की कमी हो सकती है। इसलिए कब्ज से बचने और हाइड्रेटेड रहने के लिए गर्म पानी पिएं।
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