डॉक्टर की सलाह : घुटना बदलने की सर्जरी के फायदे (Knee Replacement Surgery)

घुटने की समस्याओं और इसके कारण होने वाले दर्द के उपचार के लिए सर्जरी को घुटने का आर्थ्रोप्लास्टी (Arthroplasty) या घुटने का प्रतिस्थापन सर्जरी (Knee replacement surgery) कहा जाता है। आर्थ्रोप्लास्टी (Arthroplasty) का अर्थ है “जोड़ों की सर्जरी” (Knee Replacement Surgery) इसलिए, घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी (Replacement surgery) घुटने की संयुक्त सर्जरी है। घुटने के रिप्लेसमेंट सर्जरी में खराब जोड़ों (असुविधा वाले जोड़ों) को एक कृत्रिम धातु संयुक्त (Artificial Metallic Joint) के साथ बदल दिया जाता है।

 

घुटनों का ऑपरेशन क्या होता है? – Knee replacement surgery kya hai in Hindi?

 

 

घुटने की रिप्लेसमेंट (Replacement) एक बहुत ही सामान्य सर्जरी (Surgery) है, जो न केवल बुजुर्ग बल्कि उन लोगों को भी होती है जिन्हें घुटने (Knee) में चोट लगी होती है, या जिन्हें किसी दुर्घटना के कारण घुटने की समस्या हो गई हो, जिससे उन्हें चलने में परेशानी होती है। निम्नलिखित घटनाएं ऐसी घटनाएं हैं, जो किसी को घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी से गुजर सकती हैं:

 

 

अस्थिसंधिशोथ या ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteopathy or Osteoarthritis):

 

ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया (Arthritis) है, जिसमें घुटने के जोड़ों में सूजन हो जाती है। गठिया की संभावना 20 या 30 वर्ष के बच्चों में समान है, क्योंकि यह उस व्यक्ति को होने की संभावना है, जिसकी उम्र 50 या उससे अधिक है। ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के लिए संयुक्त सूजन या दर्द एक सामान्य स्थिति है। हालांकि, आर्थ्रोप्लास्टी (Arthroplasty) या घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी (Knee Replacement Surgery) तभी की जानी चाहिए जब सूजन घुटने से उस व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक नुकसान हो रहा हो।

 

 

रुमेटी संधिशोथ या रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis):

 

रुमेटीइड गठिया केवल एक ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune disease) नहीं है (यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है), लेकिन यह प्रणालीगत (Systemic) (प्रणालीगत, पूरे शरीर को प्रभावित करने वाला) भी है। इस विकार में जोड़ों में सूजन और दर्द भी होता है। यदि अनुपचारित हो, तो यह विकार हड्डियों, उपास्थि, संयुक्त ऊतकों (Tissues) को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसका इलाज करना बहुत मुश्किल है। डॉक्टर केवल सर्जरी की सलाह देते हैं जब दवाएं अपेक्षित परिणाम नहीं देती हैं।

 

 

घुटने की विकृति (Knee Deformity):

 

यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें घुटने उभरने लगते हैं जो स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। इस मामले में, आपका डॉक्टर आपको सर्जरी की सलाह दे सकता है।

 

 

निष्क्रियता (Inactivity):

 

घुटने के जोड़ों के दर्द से होने वाली निष्क्रियता (Inactivity) या चलने फिरने में कठिनाई जिसमें रोज़मर्रा के काम न कर पाना भी शामिल है, चिंता का कारण हो सकते हैं। ऐसे में घुटने की सर्जरी (Knee Replacement Surgery) करवाई जा सकती है।

 

 

घुटनों का प्रत्यारोपण होने से पहले की तैयारी – Ghutno Ke operation ki taiyari

 

 

सर्जरी की तैयारी के लिए आपको निम्न कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और जैसा आपका डॉक्टर कहे उन सभी सलाहों का पालन करना होगा:

 

  • सर्जरी से पहले किये जाने वाले जांच (Tests Before Surgery)

 

  • एनेस्थीसिया की जांच (Anesthesia Testing Before Surgery)

 

  • सर्जरी की योजना (Surgery Planning)

 

  • सामान्य सलाह (General Advice Before Surgery)

 

  • सर्जरी से पहले निर्धारित की गयी दवाइयाँ (Medication Before Surgery)

 

  • खाली पेट किये जाने वाले जांच (Ghutnoasting Before Surgery)

 

 

 

 

घुटनों का ऑपरेशन कैसे किया जाता है? – Ghutno ka operation kaise hota hai?

 

 

एक अंतःशिरा रेखा (Intravenous line) आपके हाथ या बांह से जुड़ी होती है। सामान्य बेहोशी आपको बेहोश करने के लिए दी जाती है। मूत्र के निर्वहन के लिए मूत्र कैथेटर (urinary catheter) को शरीर के अंदर रखा जाता है।

 

प्रतिस्थापन प्रक्रियाओं के दो प्रकार हैं:-

 

  • पूरे घुटने की रिप्लेसमेंट (Total Knee Replacement)

 

  • आंशिक घुटने की रिप्लेसमेंट (Partial Knee Replacement)

 

 

1. पूरे घुटने का प्रतिस्थापन (Total Knee Replacement):

 

  • पूरे घुटने को बदलने की प्रक्रिया में 1 से 3 घंटे लग सकते हैं। घुटनों की स्थिति को बदलने के लिए, घुटने में एक चीरा लगाया जाता है, ताकि घुटने के जोड़ को पूरी सर्जरी के दौरान पर्याप्त रूप से देखा जा सके। चीरा शिन हड्डी और जांघ की हड्डी तक पहुंचने में मदद करता है। घुटने के अंदर की सतहों को इस तरह से आकार दिया गया है कि वे सर्जरी के दौरान रखे गए कृत्रिम जोड़ों (Artificial joints) को पकड़ सकें। फिर कृत्रिम शरीर के हिस्से को जांघ की हड्डी के अंतिम छोर पर लगाया जाता है। उसके बाद, कृत्रिम सीमेंट का उपयोग कृत्रिम अंग को उसके स्थान पर रखने के लिए किया जाता है।

 

  • जब कृत्रिम अंग को हड्डी पर रखा जाता है, तो पिंडली की हड्डी (Calf bone) की संबंधित सतह पर एक प्लास्टिक स्पेसर (Plastic spacer) रखा जाता है। प्लास्टिक स्पेसर एक सदमे अवशोषक के रूप में कार्य करता है। उसके बाद, सर्जन घुटने को 110 डिग्री तक मोड़ देता है। इसके बाद, त्वचा को सीवन किया जाता है जहां से इसे सीला गया था (टांके लगाए जाते हैं)।

 

 

2. घुटने का कोई हिस्सा बदलना (Partial Knee Replacement):

 

  • आंशिक घुटने प्रतिस्थापन (Partial knee replacement) – इसे यूनिकोमार्टमेंटल घुटने रिप्लेसमेंट (Unicontermental knee replacement) और यूनिकॉन्डाइलर घुटने रिप्लेसमेंट (Unicondiler Knee Replacement) के रूप में भी जाना जाता है। क्षतिग्रस्त घुटने के जोड़ों को बदलने के लिए शरीर की सबसे कम भेदी या चीरा जाता है। सर्जन (Surgeon) द्वारा घुटने के जोड़ पर काम करने के लिए, पूरे घुटने के प्रतिस्थापन की तुलना में छोटे चीरों को बनाया जाता है। सर्जरी (Surgery) द्वारा घुटने के जोड़ के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटा दिया जाता है। एक कृत्रिम अंग को उसके स्थान पर रखा जाता है। सर्जन यह सुनिश्चित करता है कि सर्जरी के पूरा होने से पहले कृत्रिम अंग को ठीक से बनाया जाना चाहिए।

 

  • घुटने के प्रभावित हिस्से पर धातु से बना एक नी-कैप (घुटनों पर लगाया एक ढक्कन जैसा आकार) रखा जाता है। उसको जगह पर बनाये रखने के लिए बोन सीमेंट (Bone cement) से भरा जाता है। इसके बाद, चीरा को सिला जाता है (स्टिचेस (Stitches) लगाए जाते हैं) आदर्श रूप से, आप को आंशिक घुटने के बदलने के लिए कहा जाता है। अगर गठिया से घुटने का केवल एक भाग ही प्रभावित हुआ है और अभी भी घुटने की गति अच्छी है, लिगामेंट स्थिर (Ligament constant) हैं और अगर आप बूढ़े हैं या आपका शरीर इतना सक्रिय नहीं है।

 

 

सर्जरी के बाद क्या करें और क्या न करें

 

 

सर्जरी के बाद स्वास्थ्य में जल्दी लाभ हो ये सुनिश्चित करने के लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होगा :-

 

  • जब भी सोये तो ध्यान दें कि आप सीधे सोएं।

 

  • घटने की सर्जरी के बाद कम से कम 6-8 हफ़्तों तक ड्राइविंग बिलकुल भी न करें।

 

  • अपने घुटनों पर बल न दें।

 

  • सर्जरी के बाद जब तक घाव भर नहीं जाते तब तक इसे साफ़ रखे, जिससे की इसमें कोई संक्रमण न हो।

 

  • रिकवरी (Recovery) के दौरान ध्यान दें कि आप भागने, कूदने, या कोई और ऐसे कार्य न करें जिससे आपके घुटने पर बल पड़े। इससे चोट लग सकती है और रिकवरी में और समय लग सकता है।

 

  • सर्जरी के बाद सीढ़ियां न चढ़ें।

 

  • ज़्यादा देर तक बैठ कर काम न करे, नहीं तो इससे घुटनों में ऐंठन हो सकती है।

 

  • आइस पैक्स का इस्तेमाल करे, इससे सूजन और खुजली से बचे रहेंगे।

 

  • नियमित रूप से व्यायाम  करें।

 

  • डॉक्टर द्वारा बताये तरीके से CPM का प्रयोग करें क्योंकि इससे आपको अधिकतम सीमा तक गति प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

 

  • घुटने की सर्जरी के बाद की समस्याओं को उचित आहार की मदद से रोका जा सकता है। फिजियोथेरेपी के व्यायाम करें और हर समय आराम करने की बजाय सक्रिय रहें। आदर्श रूप से ये प्रतिस्थापन अगले 15-20 वर्षों तक चल जायेगा।

 

 

 

घुटने बदलने के बाद सावधानियां – Knee ka operation hone ke baad savdhaniya

 

 

घुटनों के जोड़ बदलने की सर्जरी के बाद आपको सामान्य कार्य करने के लिए 6 हफ्ते लग सकते हैं। हालांकि दर्द और सूजन जाने में 3-6 महीने लग सकते हैं। पूरी तरह से ठीक होने में एक साल तक लग सकता है। हालांकि रिकवरी का समय मरीज की शारीरिक स्थिति और सर्जरी के बाद की देखभाल पर भी निर्भर करता है। इसलिए डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।

घुटने प्रतिस्थापन की जटिलताएं (Ghutno ki surgery me jatiltaye)

ये एक ऐसी सर्जरी है जो आपके जीवन में सुधार लाकर उसे बेहतर कर सकती है। मगर, अन्य सर्जरी की तरह इसमें भी कई जोखिम हैं जिन पर ध्यान देना ज़रूरी है। ऐसे ही कुछ जोखिम नीचे दिए गए हैं:

 

 

गहरी नस की घनास्रता (Deep Vein Thrombosis)

सरल शब्दों में, डीप वेन थ्रोम्बोसिस का अर्थ है गहरी नसों में रक्त के थक्कों का बनना (अधिकतर पैर)। रक्त के थक्के जमने के कई कारण हो सकते हैं। रक्तप्रवाह में एंटीजन और वसा भी रक्त के थक्के बनाने की क्षमता रखते हैं।

 

 

फ्लूइड बिल्डअप (द्रव इकठा हो जाना) (Fluid buildup)

यह बहुत गंभीर परेशानी नहीं है। घुटने के पीछे तरल पदार्थ बन सकते हैं और इसे आसानी से बाहर भी निकाला जा सकता है।

 

 

अकड़न (Cramp)

रोगी अपने घुटनों में कठोरता का अनुभव कर सकता है, जो घुटने की सर्जरी के बाद पूरी तरह से सामान्य है। रोगी अपने घुटनों को पीछे की ओर झुका या मोड़ नहीं सकता है। फिजियोथेरेपिस्ट (Physiotherapist) की मदद से इस समस्या को कम किया जा सकता है। अभ्यास की सहायता से घुटने की सामान्य गति सीमा भी प्राप्त की जा सकती है।

 

 

संक्रमण (Infection)

संक्रमण एक आम या हलके में लिए जाने वाला जोखिम नहीं है। यदि सर्जरी के बाद घुटने के जोड़ों के भीतर संक्रमण विकसित होता है, तो यह बेहद दर्दनाक स्थिति हो सकती है। सर्जरी के कुछ हफ्तों तक संक्रमण होने का जोखिम रहता है और इस समय इससे बचने के लिए दवाओं और एंटीबायोटिक्स (एंटीबायोटिक्स ) की मदद ली जाती है।

 

 

बदले हुये घुटने से आवाज़ आना

इम्प्लांट (Implant) से हल्की आवाज़ होना आम है। चूंकि इम्प्लांट्स प्लास्टिक और धातु (Implants Plastic & Metal) से बने होते हैं, इसलिए घुटने को हिलाने या कुछ कार्य करने पर आवाज़ आना सामान्य है और कोई चिंता का विषय नहीं है।

 

 

रक्त वाहिका में चोट (Blood vessel injury)

सर्जरी के दौरान घुटनों के पीछे की नसों में चोट या रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुँचने की थोड़ी सम्भावना रहती है।

 

 

नसों में चोट (Nerve injury)

दुर्लभ मामलों में, यह संभव है कि घुटने के जोड़ों (जिसकी सर्जरी की जा रही है) से सटी हुई कोई नस सर्जरी के दौरान गलती से क्षतिग्रस्त हो जाए। इससे नसों के कार्य (क्षति के आधार पर) भी बिगड़ सकते है। यदि क्षति गंभीर है, तो न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist) (नसों का डॉक्टर) को दिखाएँ।

 

 

अपनी जगह से हिल जाना (Dislocation)

नए फिट किये गए जोड़ों का विस्थापन (अपनी जगह से खिसक जाना) भी हो सकता है जिसे सर्जरी द्वारा ठीक किया जा सकता है।

 

 

घाव (wound)

घावों और घुटनों के पास की त्वचा को ठीक से भरना ज़रूरी है। अगर रिकवरी अपेक्षित रूप से न हो पाए तो स्किन ग्राफ्ट (त्वचा का प्रत्यारोपण) का सहारा लेना पड़ सकता है।

 

 

एलर्जी (Allergies)

इम्प्लांट धातुओं (जैसे टाइटेनियम और अन्य धातुओं के मिश्रण) से तैयार किया जाता है। बहुत से लोगों को कुछ वस्तुओं और धातुओं से एलर्जी होती है। चिकित्सक को उनके बारे में सूचित किया जाना चाहिए।

 

 

हड्डी का फ्रैक्चर (Bone fracture)

सर्जिकल उपकरणों और आकस्मिक क्षति (Surgical instruments and accidental damage) की वजह से प्रक्रिया के दौरान आसपास की हड्डियों के फ्रैक्चर और क्षति की पूरी सम्भावना रहती है।

 

 

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