आजकल जीवनशैली में गलत खान-पान के कारण लोगो को अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा हैं जिसमे किडनी से सम्बंधित अनेक बीमारियां भी देखी जा रही हैं। किडनी बहुत मह्त्वपूर्ण अंग होता हैं जिसका ख्याल रखना अधिक ज़रूरी होता हैं तथा जब किडनी किसी वजह से ख़राब हो जाती हैं या फिर काम करना बंद कर देती हैं तो उस स्थिति को किडनी रोग भी कहा जाता हैं। किडनी रोग से सम्बंधित कई बीमारियों के कारण लोगो की मृत्यु भी हो जाती हैं इसलिए किडनी में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए तथा उनके अनुसार दवाइयों का सेवन भी करना चाहिए और दवाइयों के साथ ही रोजाना के खान-पान में भी बदलाव लाना चाहिए ताकि दोनों किडनी लम्बे समय तक स्वस्थ रह पाए।
किडनी से सम्बंधित रोग क्या होते हैं ?
आमतौर पर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या अन्य किसी लंबी बीमारी के कारण ही किडनियां डैमेज होती हैं। किडनी का रोग होने पर इसका प्रभाव मरीज के दूसरे अंगों पर भी पड़ सकता है जैसे- नर्व डैमेज, हड्डियों की कमजोरी, कुपोषण आदि समस्याएं हो सकती हैं। किडनी की बीमारियों का अगर सही समय पर इलाज न किया जाए, तो किडनी पूरी तरह डैमेज हो जाती हैं और काम करना बंद कर देती हैं। ऐसी स्थिति में डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। किडनी से सम्बंधित रोग कुछ इस प्रकार होते हैं जैसे की –
- एक्यूट किडनी समस्या: एक्यूट किडनी समस्याएं किडनी में अचानक होने वाली समस्याएं हैं। जैसे- किसी दवा, इंफेक्शन या रेडियोएक्टिव डाई के कारण किडनी की किसी टिश्यू (ऊतक) में कोई समस्या आ जाना, किसी कारण से पेशाब बाहर न निकल पाने पर किडनी का प्रभावित होना आदि।
- क्रॉनिक किडनी: आमतौर पर ये रोग हाई ब्लड प्रेशर के कारण होता है। ब्लड प्रेशर के कारण किडनी में मौजूद रक्त को छानने वाली महीन कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण किडनी को फंक्शन करने में परेशानी आती है। किडनी की सबसे ज्यादा आम बीमारी क्रॉनिक किडनी रोग है, जो लंबे समय तक रहती है और आसानी से ठीक नहीं होती है।
- किडनी की पथरी: किडनी की पथरी भी किडनी की एक गंभीर और आम समस्या है। यूं तो इसके कई कारण होते हैं, लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना और खान-पान की गलत आदतें व अनियमित जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं। अधिकतर मामलों में पथरी का कारण किडनी में कुछ खास तरह के साल्ट्स का जमा हो जाना होता है।
- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग: पॉलीसिस्टिक किडनी रोग भी किडनी से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। इस रोग में एक किडनी या दोनों किडनियों में बड़ी संख्या में सिस्ट बन जाते हैं। समय के साथ ये सिस्ट बढ़ते जाते हैं, जिससे किडनी का आकार बढ़ता जाता है और उसे काम करने में परेशानी आती है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटीआई: यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटीआई पेशाब की नली से जुड़ी समस्या है मगर इसके कारण किडनियां भी प्रभावित होती हैं। इस रोग से मूत्रमार्ग में संक्रमण हो जाता है, जिसके कारण पेशाब करते समय जलन या दर्द की समस्या शुरू हो जाती है। कई बार पेशाब में मवाद भी आने लगता है।
- नेफ्रॉटिक सिंड्रोम: नेफ्रॉटिक सिंड्रोम अन्य उम्र की तुलना में बच्चों में अधिक पाया जाता है। आमतौर पर इस सिंड्रोम के कारण शरीर में बार-बार सूजन आती है। इस रोग में पेशाब में प्रोटीन का जाना, खून परीक्षण की रिपोर्ट में प्रोटीन का कम होना और कोलेस्ट्रोल का बढ़ जाना होता है। इस बीमारी में खून का दबाव नहीं बढ़ता है और किडनी खराब होने की संभावना बिलकुल कम होती है।
किडनी खराब होने पर क्या खाएं ?
किडनी इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाइयों के अलावा कुछ घरेलु इलाज भी होते हैं यदि उनके साथ इनका सेवन भी करे तो यह परेशानी जल्दी दूर हो सकती हैं किडनी इन्फेक्शन में कुछ पदार्थो का सेवन करना चाहिए जैसे की –
- क्रेनबैरी जूस: क्रेनबैरी जूस का सेवन करने से किडनी इंफेक्शन की समस्या से राहत मिल सकती है। क्रैनबेरी जूस में विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और संक्रमण को रोक सकता है। हालांकि, इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
- अंडा: अंडा तो हर कोई खाता है लेकिन क्या आपको पता है कि किडनी इंफेक्शन में ये काफी लाभकारी है। दरअसल, अंडे का सफेद भाग किडनी को ठीक रखने में काफी मदद करता है। इसमें प्रोटीन होता है, जो किडनी के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। अंडे के सफेद भाग को खाने से काफी लाभ मिलता है। ध्यान रहे अंडे के अंदर के पीले भाग को नहीं खाना है, सिर्फ सफेद भाग को ही खाना है।
- सेब का सिरका: एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर सेब का सिरका किडनी इन्फेक्शन की समस्या को दूर करने में काफी लाभकारी है। हर रोज एक गिलास गर्म पानी के साथ दो चम्मच सेब के सिरके का सेवन करने से किडनी को बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाया जा सकता हैं।
- लाल शिमला मिर्च: लाल शिमला मिर्च में स्वाद अधिक होता है लेकिन इसमें पोटैशियम की मात्रा कम होती है. लाल शिमला मिर्च में विटामिन-ए और विटामिन-सी के साथ-साथ फोलिक एसिड, फाइबर और विटामिन बी6 होता है. इस सब्जी में लाइकोपीन नामक एक एंटीऑक्सीडेंट होता है।
- स्ट्रॉबेरी: किडनी शरीर का विभिन्न अंग है जो मानव शरीर में अम्ल और छार जैसे तत्वों का संतुलन बनाए रखती है.कभी-कभी शरीर में लगातार सूजन होने से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी होने लगती है तो ऐसे में आप स्ट्रॉबेरी का सेवन कर सकते है। स्ट्रॉबेरी में कई तरह के फाइटोकेमिकल तत्व मौजूद होते हैं जो सूजन से निजात दिलाने में मदद करते है साथ ही इनमें पोटेशियम और फास्फोरस की मात्रा भी बहुत काम होती है।
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