किडनी रोग होने पर दिखते हैं ये लक्षण, क्या है इलाज?

जब किसी व्यक्ति को किडनी रोग होता है तो वह समय उस व्यक्ति के लिए बहुत कठिनाई भरा होता है। किडनी की बीमारी आपके पूरे स्वास्थ्य के साथ आपकी सेहत पर भी बुरा  प्रभाव डालती है। आपकी किडनी खराब होने के पीछे कई कारण होते हैं जैसे, दवाओं के साइड इफेक्ट। जब किसी व्यक्ति को किडनी रोग होता है, तो उसे डायलिसिस पर भी रखा जाता है या ज्यादा खराब स्थिति होने पर उसकी किडनी का ट्रांसप्लांट भी किया जाता है।

 

दरअसल किडनी हमारे शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने का काम करती है और ये हमारे रक्त को भी साफ़ करती है। लेकिन आज के समय में क्रोनिक किडनी की बीमारी बहुत ज्यादा लोगों में देखने को मिल रही है, इसकी शुरुआत आपकी किडनी के संक्रमण से होती है।

 

 

 

किडनी रोग होने के लक्षण

 

 

यदि किडनी रोग से पहले आपको कुछ लक्षणों के बारे में भी पता होना चाहिए, ताकि आप समय रहते इसका इलाज करवा सके,

 

 

  • पीठ और पेट के निचले हिस्से में दर्द होना : किडनी  रोग से पहले आपके साथ ऐसा होता है और ज्यादातर लोगों में यही लक्षण देखें जाते हैं।

 

  • पेशाब करते वक़्त दर्द होना : जिन लोगों को ये समस्या होती है उन्हें पेशाब करने में बहुत दर्द होता है और ये दर्द कुछ समय बाद अपने आप कम हो जाता है।

 

  • तेज ठंड लगना : कुछ लोगो में ये लक्षण भी देखें जाते हैं उन्हें अपने शरीर में कंपकपी का एहसास होता है।

 

  • उल्टी आना : उल्टी आना ये भी किडनी ख़राब होने के सबसे आम लक्षणों में से एक होते हैं उन्हें बार-बार उल्टी जैसा लगता है।

 

  • भूख न लगना : जिन लोगों की किडनी में संक्रमण की शुरुआत होती है उन्हें बिल्कुल भी भूख नहीं लगती है और धीरे-धीरे उनकी भूख कम होने लगती है।

 

  • वजन में तेजी से बदलाव होना : जब आपकी भूख कम होने लगती है तो आपके शरीर के वजन में भी बदलाव होने लगता है या तो वजन तेजी से घटता है या बढ़ता है। हाल ही में हुए एक शोध में ये बात सामने आई है कि मोटे लोगों की किडनी पर काम करने सेे ज्यादा दबाव पड़ता है।

 

  • सोने में बेचैनी होना : किडनी रोग होने पर आपको रात में सोते वक़्त काफी बेचैनी होती है बार-बार आपकी नींद टूटती है।

 

  • कमजोरी : जिनकी किडनी खराब होने वाली होती है, तब उन्हें अपने शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी का एहसास होता है, क्योंकि धीरे-धीरे आपकी भूख कम हो जाती है।

 

  • पेशाब जाने पर पेशाब का ना होना : ऐसा कई किडनी के मरीजों के साथ होता है उन्हें पेशाब जैसा लगता जरूर है। लेकिन पेशाब जाने पर पेशाब नहीं होती है।

 

  • शरीर पर सूजन : ये भी किडनी रोग के लक्षणों में से एक है वैसे तो डायबिटीज के मरीजों में भी सूजन को देखा गया है। ऐसा होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

 

यदि आप अपने पेशाब जाने के समय में कुछ बदलाव महसूस करते हैं, तो आपको एक बार अपने डॉक्टर को इसके बारे में बताना चाहिए क्योंकि ये किडनी रोग के सबसे आम लक्षण होते हैं।

 

 

किडनी रोग होने के कारण

 

 

  • धम्रपान,

 

  • शराब का ज्यादा सेवन,

 

 

  • गलत खान-पान,

 

  • अनियमित दिनचर्या,

 

  • ज्यादा देर तक पेशाब रोकना (इससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है),

 

  • परिवार में पहले किसी को किडनी की बीमारी होना।

 

 

जब किसी व्यक्ति की किडनी खराब होती है, तो उसके पास दो ही विकल्प होते हैं, पहला डायलिसिस और दूसरा ट्रांसप्लांट। लकिन उसके बाद भी आपको बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें डायबिटीज भी है और साथ में किडनी का भी इलाज चल रहा है इसलिए उन लोगों को अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। इसके मरीजों की संख्या बढ़ती इसलिए जा रही है क्योंकि लोगों को इसका पता ही नहीं चलता है।

 

 

किडनी रोग का पता कैसे लगाएं

 

 

रक्त टेस्ट (Blood tests): किडनी फंक्शन टेस्ट आपके रक्त में क्रिएटिन (creatinine) और यूरिया (urea) जैसे अपशिष्ट उत्पादों के स्तर की तलाश करते हैं।

 

पेशाब का टेस्ट (Urine tests): आपकी पेशाब के नमूने की जाँच करने से डॉक्टर को कई बातों का पता चलता है। जो आपकी क्रोनिक किडनी की विफलता के कारणों को बताता है और क्रोनिक किडनी रोग के कारण की पहचान करने में डॉक्टर की मदद करता हैं।

 

इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests): आपका डॉक्टर अल्ट्रासॉउन्ड के जरिये आपकी किडनी के आकार का आकलन करता है। इससे डॉक्टर ये भी देखते है कि कही आपकी किडनी के आस-पास किसी तरह का संक्रमण तो नहीं है। कुछ मामलों में अन्य इमेजिंग टेस्ट का उपयोग भी किया जा सकता है।

 

परीक्षण के लिए किडनी के टिशूज का सैंपल (sample of kidney tissue for testing): आपका डॉक्टर किडनी के टिशूज का एक सैंपल निकालने के लिए गुर्दे की बायोप्सी भी कर सकता है। किडनी रोग का पता लगाने के लिए बायोप्सी का सहारा लेता है। दरअसल इसके लिए एक लंबी, पतले सुई का उपयोग किया जाता है। जो आपकी त्वचा के माध्यम से आपकी किडनी में डाली जाती है। इस सैंपल को  प्रयोगशाला में भेजा जाता है ताकि यह पता किया जा सके कि आपकी किडनी खराब है या नहीं।

 

 

किडनी के रोग का इलाज

 

 

जब  किसी व्यक्ति की किडनी पूरी तरह से खराब हो जाती है, तब डॉक्टर उस व्यक्ति की जाँच के आधार पर इन विकल्पो को चुनते हैं :

 

हीमोडायलिसिस (Hemodialysis): इसमें किडनी के मरीज को सप्ताह में तीन बार मशीन द्वारा रक्त को साफ किया जाता है। क्योंकि आपकी किडनी रक्त को ठीक से साफ़ नहीं करती है।

 

पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal dialysis): पेरिटोनियल डायलिसिस में डॉक्टर किडनी रोगी के पेट में कैथेटर नामक एक यंत्र लगा देते हैं। जिसकी मदद से रक्त साफ़ किया जाता है और गंदगी को बाहर निकाला जाता है।

 

किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant): इसमें मरीज के शरीर में एक नयाइन (जो डोनर या डोनर द्वारा दिया जाता है) ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसके बाद, उस व्यक्ति को डायलिसिस की जरुरत नहीं पड़ती है। आजकल किडनी ट्रांसप्लांट के कई सफल परिणाम देखने को मिलते हैं। जैसे जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही है वैसे-वैसे लोगों की स्वास्थ्य समस्याएं भी जल्दी हल हो रही हैं।

 

 


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