पाइल्स का लेजर सर्जरी से इलाज

अनेक गंभीर बीमारियों के बीच एक बीमारी पाइल्स होती हैं जिसे बवासीर कहा जाता हैं। यह विश्व में अधिकतर लोगो को हो जाती हैं परन्तु इसका इलाज पूर्णरूप से हो सकता हैं। यह बीमारी अधिक दर्दनाक और तकलीफदेह होती हैं कई बार लोग इसका जिक्र करने में भी कतराते हैं क्योकि यह अतरंगी क्षेत्र में हो जाती हैं परन्तु ऐसा नहीं करना चाहिए यदि किसी को यह बीमारी होती हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से बिना हिचखिचाये संपर्क करना चाहिए।

 

 

 

पाइल्स क्या होता हैं ?

 

 

निचले मलाशय (Rectum)क्षेत्र में या उसके आस-पास सूजी हुई ऊतकों और नशो की गांठ का निर्माण होता हैं जिसे की पाइल्स कहा जाता हैं। यह बीमारी किसी भी कारण हो सकती हैं इसके लक्षण और कारण कभी स्पष्ट नहीं होते। यह बीमारी अधिकतर 45 से अधिक उम्र वालो में देखी जाती हैं, परन्तु डॉक्टर्स का मानना हैं की 30 % यह बीमारी आम जीवनशैली में बच्चों तथा जवानो में भी पायी जा सकती हैं। पाइल्स की परेशानी कब्ज की वजह से होती हैं जिस भी व्यक्ति को कब्ज हो यदि वह अपन इलाज समय पर न करवाए तो वह बढ़कर पाइल्स बन जाती हैं।

 

 

 

पाइल्स के प्रकार

 

 

  • बाहरी पाइल्स: मलाशय (Rectum) के आस-पास की त्वचा के नीचे छोटी-छोटी गांठे बन जाती हैं। उसमें बहुत खुजली और दर्द होता हैं इस मामले में रक्तस्राव होता हैं। इस बीमारी में अधिक सूजन भी आ सकती हैं।

 

  • आंतरिक पाइल्स: गांठ मलाशय के अंदर ही विकसित होने लगती हैं यह बाहर बिलकुल भी नज़र नहीं आती। मल त्याग के समय रक्तस्राव हो सकता हैं जिसे की परेशानी हो सकती हैं।

 

  • प्रोलैप्सड पाइल्स: आंतरिक और बाहरी पाइल्स दोनों विकसित हो जाती हैं जिसके कारण मलाशय से खून आ सकता हैं और अधिक दर्द भी हो सकता हैं।

 

 

 

पाइल्स होने के लक्षण क्या होते हैं ?

 

 

यदि किसी व्यक्ति को पाइल्स होती हैं तो उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं क्योकि यह बीमारी ठीक तो हो जाती हैं परन्तु बहुत तकलीफदेह होती हैं इसलिए डॉक्टर से परामर्श होना बहुत आवश्यक होता हैं डॉक्टर के अनुशार पाइल्स होने से पहले इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं जैसे की –

 

  • शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।

 

  • शौच के वक़्त खून आना तथा जलन होना।

 

  • पेट में दर्द और पेट साफ़ न होना।

 

  • शौच वाली जगह पर अधिक खुजली होना।

 

  • बैठने में असुविधा।

 

  • अधूरे मल की अनुभूति।

 

  • मल त्यागने में खून आना।

 

  • एनस के आसपास गांठ जैसा महसूस होना।

 

 

 

पाइल्स होने के कारण क्या-क्या हो सकते हैं ?

 

 

पाइल्स होने के अन्य कारण होते हैं यदि आप इस बीमारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करते हैं तो वह इस बीमारी की जाँच करते हैं जिससे की इस बीमारी के होने का कारण पता लगे ,जाँच होने के बाद इस बीमारी के कारण निम्न प्रकार से होते हैं –

 

  • पेट में लम्बे समय तक कब्ज बने रहना।

 

 

  • अधिक देर तक खड़े रहना।

 

  • टॉयलेट में काफी देर तक बैठे रहना।

 

  • डायरिया की समस्या से पीड़ित होना।

 

  • पेट ठीक तरीके से साफ़ न होना।

 

 

  • अधिक मसालेदार खाने का सेवन करने से।

 

  • यदि परिवार में किसी को पाइल्स हो तो वह आगे भी हो सकती हैं। (जेनेटिक)

 

  • भोजन में पोषक तत्वों की कमी होना।

 

  • महिलाओं में प्रसव के समय बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इससे ऐनस एरिया में अधिक दबाव पड़ता है।

 

 

 

पाइल्स के निदान किस प्रकार होते हैं ?

 

 

  • डिजिटल रेक्टल परीक्षा: सूजी हुई रक्त वाहिकाओं को महसूस करने के लिए डॉक्टर मलाशय में एक दस्ताने वाली, चिकनाई उंगली डालकर देखते है।

 

  • एनोस्कोपी: गुदा और मलाशय की परत को देखने के लिए डॉक्टर एक एनोस्कोप (प्रकाशित ट्यूब) का उपयोग करते है।

 

  • कोलोनोस्कोपी: डॉक्टर किसी भी असामान्य वृद्धि, लाल या सूजे हुए ऊतक, घावों (अल्सर), या रक्तस्राव की जांच के लिए एक कोलोनोस्कोप (लंबी, लचीली, रोशनी वाली ट्यूब) का उपयोग करके पूरे कोलन की जांच कर सकते है।

 

  • सिग्मोइडोस्कोपी: बृहदान्त्र (कोलन) और मलाशय के निचले हिस्से को देखने के लिए डॉक्टर सिग्मोइडोस्कोप (एक कैमरे के साथ रोशनी वाली ट्यूब) का उपयोग करते हैं। इस तकनीक में दो प्रकार शामिल हैं: लचीली सिग्मोइडोस्कोपी और बिना लचीली सिग्मोइडोस्कोपी

 

  • स्टूल गुआएक टेस्ट: इसमें रक्त के किसी भी निशान का पता लगाने के लिए मल के नमूने का विश्लेषण किया जाता है।

 

  • रिजिड प्रोक्टो सिग्मोइडोस्कोपी: यह प्रक्रिया बिल्कुल एनोस्कोपी की तरह है, बस इसमें डॉक्टर आंत के निचले हिस्से और मलाशय को देखने के लिए प्रॉक्टोस्कोप नामक उपकरण का उपयोग करता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी अधिकांश लोगों को एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है।

 

 

 

पाइल्स का इलाज किस प्रकार हो सकता हैं ?

 

 

डॉक्टर के अनुसार पाइल्स का इलाज कुछ इस प्रकार हो जाता हैं –

 

दवाइयाँ: यदि पाइल्स की बीमारी पहले या दूसरे चरण में हो तो वह दवाइयों से भी ठीक हो सकती हैं।

 

ओपन हेमरॉयडेक्टमी: यह बवासीर ऑपरेशन करने की सबसे पुरानी प्रक्रिया है। इसमें रोगी को जनरल एनेस्थीसिया का डोज दिया जाता है और बवासीर के मस्सों को काटकर अलग किया जाता है। कट करने के लिए डॉक्टर सर्जिकल कैंची का प्रयोग करते हैं। उपचार के बाद डॉक्टर बवासीर के स्थिति के अनुसार जख्म को बंद कर देते हैं या खुला छोड़ देते हैं।

 

स्क्लेरोथेरपी: इस प्रक्रिया में डॉक्टर इंजेक्शन की मदद से एक केमिकल को आतंरिक पाइल्स के मस्सों पर लगते हैं। इंजेक्शन लगने के बाद मस्से सूखने लगते हैं और पूरी तरह से सूख जाते हैं।

 

लेज़र सर्जरी: इसे लेजर हेमरॉयडेक्टमी भी कहते हैं। मस्सों को नष्ट करने के लिए लेजर किरण का उपयोग होता है। रोगी को एनेस्थीसिया के प्रभाव में रहना पड़ता है, इसी दौरान डॉक्टर एक निश्चित फ्रीक्वेंसी की लेजर बीम को बवासीर के मस्सों पर छोड़ते हैं और आधे घंटा के भीतर बवासीर से छुटकारा मिल जाता है। यह कम समय में होने वाली एक दर्द रहित और एडवांस प्रक्रिया है, जिसमें कोई रक्तस्त्राव नहीं होता है और गुदा क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निशान नहीं बनते हैं।

 

 

 

पाइल्स के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल।

 

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