आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स और जोखिम जो आपको जरूर जानना चाहिए

आईवीएफ एक अद्भुत चिकित्सा प्रक्रिया है जो कई लोगों को माता-पिता बनने का सपना साकार करने में मदद करती है। हालांकि, इसके साथ जुड़े साइड इफेक्ट्स और जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सही जानकारी और तैयारी के साथ, आप इन साइड इफेक्ट्स और जोखिमों का सामना कर सकते हैं और अपनी आईवीएफ यात्रा को सफल बना सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर से खुलकर बात करें और सभी संभावित मुद्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें ताकि आप अपने और अपने परिवार के लिए सबसे अच्छा निर्णय ले सकें।

 

आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है जो कई लोगों के लिए एक वरदान साबित हुई है, खासकर उन दंपत्तियों के लिए जो प्राकृतिक तरीके से संतान प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया अद्भुत है, लेकिन इसके साथ कुछ साइड इफेक्ट्स और जोखिम भी जुड़े होते हैं जिन्हें जानना महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम आईवीएफ के विभिन्न साइड इफेक्ट्स और जोखिमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि आप इस प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें।

 

आईवीएफ क्या है?

 

आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु को पुरुष के शुक्राणु के साथ लैबोरेटरी में निषेचित किया जाता है और फिर इसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह प्रक्रिया उन महिलाओं के लिए उपयुक्त होती है जो ओवुलेशन की समस्या, फैलोपियन ट्यूब्स की समस्या, या अन्य बांझपन के मुद्दों का सामना कर रही होती हैं।

 

 

आईवीएफ के सामान्य साइड इफेक्ट्स

 

  • गर्भाशय में दर्द और ऐंठन: आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान और बाद में, महिलाओं को गर्भाशय में हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकती है। यह सामान्य है और आमतौर पर कुछ दिनों में ठीक हो जाता है।

 

  • सूजन और पेट में भारीपन: आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान हार्मोनल दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो पेट में सूजन और भारीपन का कारण बन सकता है। यह अस्थायी होता है और दवाओं के समाप्त होने के बाद ठीक हो जाता है।

 

  • मूड स्विंग्स: हार्मोनल दवाओं के कारण महिलाओं में मूड स्विंग्स या भावनात्मक उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। यह एक सामान्य साइड इफेक्ट है और समय के साथ यह स्थिर हो जाता है।

 

  • स्तनों में दर्द: हार्मोनल उपचार के कारण स्तनों में दर्द या सूजन हो सकती है। यह अस्थायी है और उपचार के समाप्त होने के बाद ठीक हो जाता है।

 

  • थकान: आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को थकान महसूस हो सकती है। यह प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद के तनाव और शारीरिक परिवर्तन के कारण हो सकता है।

 

 

आईवीएफ के गंभीर साइड इफेक्ट्स और जोखिम

 

  • ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (OHSS): आईवीएफ के दौरान हार्मोनल दवाओं का उपयोग अंडाणुओं को उत्तेजित करने के लिए किया जाता है, जिससे कभी-कभी ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम हो सकता है। इसमें अंडाशय सूज जाते हैं और पेट में दर्द, उल्टी, और वजन बढ़ने जैसे लक्षण हो सकते हैं। गंभीर मामलों में, यह जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है और चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।

 

  • गर्भाशय के बाहर गर्भावस्था (एक्टोपिक प्रेगनेंसी): आईवीएफ प्रक्रिया में गर्भाशय के बाहर, आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब्स में, गर्भावस्था की संभावना हो सकती है। यह स्थिति खतरनाक हो सकती है और इसके लिए सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

 

  • गर्भपात का जोखिम: हालांकि आईवीएफ प्रक्रिया से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन गर्भपात का जोखिम भी बना रहता है। विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ यह जोखिम बढ़ जाता है।

 

  • मल्टीपल प्रेगनेंसी: आईवीएफ के दौरान, एक से अधिक भ्रूण प्रत्यारोपित किए जाते हैं, जिससे जुड़वां या उससे अधिक बच्चों के गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। मल्टीपल प्रेगनेंसी में जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है, जैसे प्री-टर्म बर्थ और गर्भावस्था से संबंधित अन्य समस्याएं।

 

  • सर्जिकल जटिलताएं: आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान, अंडाणुओं को निकालने के लिए सर्जिकल प्रक्रिया की जाती है, जिसमें संक्रमण, रक्तस्राव, और अन्य सर्जिकल जटिलताओं का जोखिम होता है।

 

आईवीएफ के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव

 

आईवीएफ प्रक्रिया के शारीरिक साइड इफेक्ट्स के अलावा, इसके मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं।

 

तनाव और चिंता: आईवीएफ प्रक्रिया एक तनावपूर्ण अनुभव हो सकता है, जिसमें सफलता की अनिश्चितता, वित्तीय बोझ, और शारीरिक दर्द शामिल होते हैं। इससे तनाव और चिंता बढ़ सकती है।

डिप्रेशन: आईवीएफ प्रक्रिया के असफल होने पर डिप्रेशन का जोखिम होता है। बार-बार की विफलताएँ भावनात्मक रूप से थकाने वाली हो सकती हैं।

संबंधों पर प्रभाव: आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान तनाव और चिंता दंपति के संबंधों पर प्रभाव डाल सकते हैं। आपसी समझ और संचार महत्वपूर्ण है ताकि इस कठिन समय को मिलकर सामना किया जा सके।

 

 

आईवीएफ के जोखिमों को कैसे कम करें

 

  • अच्छे डॉक्टर का चुनाव: आईवीएफ प्रक्रिया के लिए एक अनुभवी और विश्वसनीय डॉक्टर या क्लिनिक का चयन करें। उनके पास अच्छी सफलता दर और सुरक्षित प्रक्रिया के लिए उपयुक्त संसाधन होने चाहिए।

 

  • स्वास्थ्य की देखभाल: आईवीएफ प्रक्रिया से पहले और उसके दौरान अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और पर्याप्त नींद आपकी सफलता की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

 

  • सकारात्मक मानसिकता: मनोवैज्ञानिक तैयारी और सकारात्मक मानसिकता रखना महत्वपूर्ण है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेना फायदेमंद हो सकता है।

 

  • सही जानकारी प्राप्त करें: आईवीएफ प्रक्रिया के सभी पहलुओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। संभावित साइड इफेक्ट्स और जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि आप सटीक निर्णय ले सकें।

 

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