प्रेगनेंसी में फंगल इन्फेक्शन का इलाज

प्रेगनेंसी महिलाओं के लिए बहुत ही सेंसिटिव समय होता है। महिलाओं को इस समय में अपने स्वस्थ का ध्यान रखना बहुत जरुरी है, ताकि गर्भ में पल रहे शिशु और आपको स्वस्थ से सम्बंधित किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े और आप दोनों ही स्वस्थ रहे। इसी तरह प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को बहुत सी कठिन परिस्थितयों का सामना करना पड़ सकता है। उन्ही में से एक फंगल इन्फेक्शन है जो शरीर के किसी अंगों पर हो सकता है, जैसे कि त्वचा, नाखून, योनि, चेहरा, लिवर, फेफड़े और अन्य अंग। यह संक्रमण किसी भी व्यक्ति को हो सकता है परन्तु यह संक्रमण प्रेग्नेंट महिलाओं में अधिकतर पाया जाता है। फंगल इन्फेक्शन विभिन्न प्रकार के कवकों से हो सकते हैं, जिनमें कैंडिडा और डर्माटोफाइट होते हैं।

 

 

प्रेगनेंसी में फंगल इन्फेक्शन के कारण।

 

 

प्रेगनेंसी में फंगल इन्फेक्शन होने के कई कारण हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण हैं –

 

1 एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने से – प्रेगनेंसी के समय महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ने से वजाइना में ग्लाइकोजन उत्पन्न होने लगता है। क्योकि, अधिक ग्लूकोज की वजह से भी गुंगल हो सकता है इसलिए फंगल इन्फेक्शन बढ़ना शुरू होता जाता है। स्टडीज के अनुसार एस्ट्रोजन की वजह से वजाइना की वजह से फंगल इन्फेक्शन आसानी से होने लगता है और बढ़ने लगता है।

 

2 एंटीबायोटिक्स या दवाइयां लेने से – अगर प्रेग्नेंट महिलाएँ पिछले कुछ महीनों या सालों से लगातार एंटीबायोटिक्स जैसी दवाइयां खा रही हैं तो आपको फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। और वजाइना के कुछ गंदे बैक्टीरिया अच्छे बैक्टीरिया पर गलत असर करते है। जिसकी वजह से सुरक्षित बैक्टीरिया का बैलेंस नहीं बनता और इससे फंगल इन्फेक्शन होता है।

 

 

3 ब्लड शुगर बढ़ने से – यदि किसी प्रेग्नेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज है तो उससे फंगल इन्फेक्शन बहुत जल्दी हो सकता है। इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने की वजह से महिलाओं में फंगल इन्फेक्शन और अन्य रोग भी हो सकते हैं।

 

 

4 सेक्स करने से – वैसे फंगल इन्फेक्शन को सेक्शुअली ट्रांसमिटेड रोग नहीं मान सकते लेकिन सेक्स करने से भी यह इन्फेक्शन उत्पन्न हो सकता है। कुछ मामलों में अगर आपके पति को इन्फेक्शन है तो सेक्स के दौरान यह आपके वजाइना में भी फैल सकता है।

 

5 जन्म नियंत्रण गोलियां लेने से – प्रेगनेंसी से पहले प्रेग्नेंट होने के समय महिलाओं के हॉर्मोन्स के स्तर पर प्रभाव पड़ता है। हॉर्मोन्स में बदलाव होने की वजह से वजाइना से वाइट डिस्चार्ज होता है जिससे पीएच लेवल डिस्बैलेंस हो सकता है और फंगल इन्फेक्शन बढ़ जाता है।

 

 

6 वायरल इम्यूनिटी की कमी – प्रेगनेंसी के समय, महिलाओं का इम्युनिटी सिस्टम बहुत हद तक कम हो जाता है, जिसकी वजह से फंगल इन्फेक्शन होने से वह कमजोर हो सकती हैं।

 

 

 

गर्भावस्था में फंगल इन्फेक्शन होने से बचाव।

 

हॉर्मोनल बदलाव और वजाइना डिस्चार्ज में नियंत्रण न होने की वजह से आपको इन्फेक्शन होता है परन्तु बचाव के कुछ तरीकों की मदद से आप इन्फेक्शन होने की संभावनाओं को कम कर सकती हैं। फंगल इन्फेक्शन को कम करने के कुछ बचाव निम्नलिखित हैं –

 

  • इन्फेक्शन शुरू होने से पहले ही आप कॉटन के ढीले अंडरगार्मेंट्स पहनना शुरू कर दे ताकि हवा का सर्कुलेशन होता रहे और जेनिटल सूखा रहे।

 

  • जेनिटल वाले हिस्से के आस-पास खुशबूदार साबुन, बबल बाथ या किसी भी स्प्रे का यूज न करें क्योंकि इन सबके कारण आपकी समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।

 

  • एक्सरसाइज या वर्कआउट करने के बाद आप जल्दी नहाएं और अपनी बॉडी को पूरी तरह से सुखा रखे। आपको ज्यादा देर तक गीले अंडरगार्मेंट्स नहीं पहनने चाहिए इस से आपको फंगल इन्फेक्शन हो सकता है।

 

  • जेनिटल वाले हिस्से को साफ करते और पोछते समय आप इसे आगे से पीछे की तरफ पोंछे। क्योंकि पीछे से आगे की तरफ पोंछने से इन्फेक्शन बढ़ने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं।

 

  • प्रेगनेंसी में ज्यादातर आपको हेल्दी डाइट ही लेनी चाहिए जैसे फल और हरी सब्जियां साथ ही आपको शुगर व फैट-युक्त आहार का सेवन करना चाहिए।

 

 

 

फंगल इंफेक्शन के लक्षण।

 

प्रेगनेंसी के समय फंगल इन्फेक्शन के लक्षण कुछ इस प्रकार दिखाई दे सकते है जैसे –

 

  • वजाइना से वाइट डिस्चार्ज (White Discharge), पीला या हरे रंग का डिस्चार्ज होना।

 

  • वजाइना से बदबू आना।

 

 

  • वजाइना की स्किन लाल हो जाना।

 

 

  • पेशाब करते समय, दर्द या जलन का महसूस होना।

 

  • सेक्‍स करते समय वजाइना मैं दर्द होना।

 

 

 

एंटी फंगल इंफेक्शन का इलाज

 

 

प्रेगनेंसी के समय महिलाओं को कई तरह की परेशानियों से गुज़रना पड़ता है, जैसे वजाइना में सूजन, खुजली, जलन, लालपन और वाइट डिस्चार्ज आदि। लेकिन यह आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए किसी भी तरह से ठीक नहीं है इसलिए आपको प्रेग्नेंसी में फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए प्रॉपर ट्रीटमेंट करवाना चाहिए। इसके लिए कम से कम 6 से 8 सप्ताह तक का समय लग सकता है। अगर ओरल मेडिसिन न दी जाए, तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए और भी समय लग सकता है। लेकिन, आप कुछ तरीकों को आजमाकर इस समस्या से बच सकते हैं। तो चलिए जानते हैं गर्भावस्था के दौरान किस तरह आप फंगल इन्फेक्शन का इलाज कर सकती हैं। गर्भावस्था में फंगल इन्फेक्शन से निपटने के लिए कुछ प्राकृतिक उपचार।

 

एंटिफंगल डस्टिंग पाउडर लगाएं। 

प्रेग्नेंट महिलाओं को इन्फेक्शन वाले एरिया में एंटिफंगल डस्टिंग पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर उन्हें इस तरह की समस्या पहले भी हुई है, तो उन्हें कॉन्शस रहना चाहिए।और अपने डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री भी बतानी चाहिए ताकि वे पहले ही आपको कुछ उपाय बता सके।

 

योगर्ट

योगर्ट में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस नामक बैक्टीरिया होता है जो प्राकृतिक रूप से इस तरह के फंगल इन्फेक्शन से बचने में मदद करता है। प्रेगनेंसी के समय आपको योगर्ट का ज्यादा मात्रा में सेवन करना चाहिए जिससे आपको फंगल इन्फेक्शन होने के कम चांस हो सकते है। आप योगर्ट का प्रोयग शैम्पू में कम मात्रा में कर सकते है।

 

नारियल तेल

यह फैटी एसिड संक्रमण से बचने के लिए काफी हद तक फायदेमंद होता है। यदि प्रेगनेंसी के समय आपको फंगल इन्फेक्शन का इलाज करना हो तो इस ऐसे समय में नारियल का तेल सबसे अधिक फायदेमंद होता है। आप अपने खाने में नारियल का तेल और कैप्रिलिक एसिड के टेबलेट का भी सेवन कर सकती हैं। लेकिन किसी भी तरह की दवाई लेने से पहले बेहतर होगा आप पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।

 

 

 

फंगल इन्फेक्शन के अन्य उपचार। 

 

इस तरह की समस्या से आप कुछ घरेलु उपायों का प्रोयग कर सकते है लेकिन डॉक्टर से बिना कंसर्न करे आप किसी भी चीज़ का प्रयोग न करे ऐसे आपको समस्याएं हो सकती है। अगर आपको फंगल इन्फेक्शन की समस्या ज्यादा हैं तो आपके स्वस्थ के लिए बेहतर होगा की आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

 

 

प्रेगनेंसी में फंगल इन्फेक्शन के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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