आप सोच रहे होंगे कि ‘आईवीएफ विफल क्यों होता है?’ हमने दोस्तों, परिवार या इंटरनेट पर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) उपचार के बारे में कई सफलता की कहानियां सुनी हैं। हालाँकि, ऐसा अक्सर नहीं होता है कि हम असफल आईवीएफ के बारे में सुनते हैं, आमतौर पर क्योंकि यह उन लोगों के लिए एक बहुत ही भावनात्मक विषय है जो माता-पिता बनने के इच्छुक हैं। आज हम इस ब्लॉग में बताएँगे की आईवीएफ असफल होने के कारण क्या हो सकते हैं ?
आईवीएफ असफल होने के कारण क्या होते हैं ?
आईवीएफ असफल होने के निम्नलिखित कारण होते हैं-
- एम्ब्रॉय की क्वालिटी में कमी: आईवीएफ साइकिल असफल होने का सामान्य कारण एम्ब्रॉय की क्वालिटी में खराबी होना हैं। कई एम्ब्रॉय गर्भाशय में स्थानांतरण के बाद प्रत्यारोपित होने में सक्षम नहीं होते हैं क्योंकि उन एम्ब्रॉय में आगे बढ़ने की क्षमता नहीं होती है। यहाँ तक कि लैब में अच्छे दिखाई देने वाले एम्ब्रॉय में आनुवंशिक दोष या कोशिका विकार हो सकते हैं जो विकसित होने की बजाय गर्भाशय में नष्ट हो जाते हैं या गर्भपात का कारण बनते हैं।
- पुरुष-महिलाओं की आयु: यह एक गलत जानकारी है कि केवल पत्नी की उम्र महत्वपूर्ण है। कई पुरुष-महिलाओं में पति की उम्र को नजरअंदाज करते हैं। जैसे-जैसे पति की उम्र 45 वर्ष के बाद बढ़ती है तो स्पर्म की गुणवत्ता और मात्रा कम हो जाती है उसी प्रकार महिला की उम्र 35 वर्ष से ऊपर होने पर अंडों की संख्या और क्वालिटी कम होती जाती है। यह सफल आईवीएफ की संभावना को अधिक प्रभावित करता है।
- क्रोमोसोमल असामान्यताएं: आईवीएफ असफल होने, रासायनिक गर्भावस्था और गर्भपात के लिए सबसे आम कारणों में एम्ब्रॉय के अंदर मौजूद क्रोमोसोमल असामान्यताएं हैं। गर्भपात के अधिकांश मामलों ( जैसा सामान्य गर्भधारण में भी देखने को मिलता है ) साथ ही आईवीएफ चक्र में गर्भधारण में असफलता के पीछे यही असामान्यताएं कारण हैं । अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं की उम्र 30 वर्ष के ऊपर होने के बाद क्रोमोसोमल असामान्यताएं बढ़ जाती हैं। 40 के दशक के मध्य तक महिला के अंडे में 75 प्रतिशत तक गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं हो सकती हैं। यह पुरुषों में भी 40 की उम्र के बाद समान रूप से लागू है लेकिन महिला के अंडे की तुलना में इसकी दर बहुत कम है। यह महिलाओं के साथ उचित नहीं है, लेकिन सच है। इसलिए 35 वर्ष से पहले की आयु महिलाओं के लिए संतान पैदा करने की गोल्डन एज मानी जाती है।
- खराब ओवेरियन रिस्पोंस: कभी-कभी महिला के अंडाशय पर प्रजनन दवाओं और हार्मोनल इंजेक्शन का भी असर नहीं होता हैं जबकि वे कई अंडे पैदा करने में सक्षम होते हैं। खासतौर पर यदि महिला की आयु 35 वर्ष से अधिक है तो वह अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण का निर्माण करने के लिए पर्याप्त संख्या में अंडों का उत्पादन नहीं कर पाती है। खराब आवेरियन रिस्पोंस और रिजर्व से इंजेक्शंस में असफलता की संभावना अधिक होती है ।
- गर्भाशय की असामान्यताएं: कभी-कभी गर्भाशय का आकार थीन एंडोमेट्रियम, यूटेराइन सेप्टम, एंडोमेट्रियल पॉलीप, गंभीर एडेनोमायोसिस और यूटेराइन मायोमस के कारण असामान्य होता है जो कि आईवीएफ के प्रक्रिया में बाधा डालता हैं।
- जीवनशैली: जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उन्हें गर्भधारण करने के लिए दो या अधिक आईवीएफ साइकिल की आवश्यकता पड़ सकती है और उनमें धूम्रपान नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में गर्भपात की संभावना अधिक होती है ।
- अधिक वजन: जिन महिलाओं का वजन अधिक या कम है उनमें आईवीएफ उपचार की सफलता की संभावना कम होती है। इसलिए अपने चिकित्सक द्वारा बताए गये स्वस्थ वजन को बनाएं रखें।
- देरी ना करें, जल्दी योजना बनाएं: जो दम्पती पहले योजना बनाते हैं उनके आईवीएफ साइकिल सफल होेने की संभावना अधिक होती है। स्वयं के अंडे और शुक्राणुओं का उपयोग करके 35 वर्ष से कम आयु के दम्पतियों में प्रत्यारोपण करने पर लगभग 75-80 प्रतिशत सफलता दर रहती है है। 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के दम्पतियों में सफल गर्भावस्था की 10- 15 फीसदी संभावना होती है।
- डोनर का इस्तेमाल: यदि आपकी आयु 37 वर्ष से अधिक है, तो दाता (डोनर) गैमेटोसाइट्स (अंडाणु या शुक्राणु) का उपयोग करके सफल आईवीएफ की संभावना बढ़ायी जा सकती है, यह सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले युवा दाताओं द्वारा दान किए जाते हैं। इसमें आईवीएफ की सफलता दर युवा महिलाओं के समान ही रहती है।
- प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग: यदि आपकी आईवीएफ साइकिल विफल हो गयी है तो आपके फर्टिलिटी विशेषज्ञ आईवीएफ साइकिल से पहले पीजीएस की सिफारिश कर सकते हैं। पीजीएस में प्रत्येक भ्रूण की कुछ कोशिकाओं को लेकर यह परीक्षण किया जाता है कि गुणसूत्र सही संख्या में मौजूद है या नहीं । फर्टिलिटी डॉक्टर्स का कौशल और आईवीएफ लैब की क्वालिटी एक विज्ञान है साथ ही एक अजन्मे मानव में जीन को निर्धारित करने की कला भी है। आईवीएफ असफल होने पर कभी-कभी पति-पत्नी दोनों का आनुवंशिक परीक्षण किसी प्रकार की गुणसूत्रीय असामान्यता का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी विश्लेषण परीक्षण: अच्छी एंडोमेट्रियल वृद्धि के बाद भी रिसेप्टिविटी महत्वपूर्ण है जिसके आकलन से सफल प्रत्यारोपण के सटीक समय का निर्धारण करने में मदद मिलती है।
- स्वस्थ खाएं-स्वस्थ रहें: इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं- पौष्टिक आहार, जंक फूड से बचें, अत्यधिक प्रदूषण से बचें, धूम्रपान से बचें, शराब से बचें, अपने चारों ओर काम का अच्छा माहौल बनाए रखें, खासकर पति अत्यधिक गर्म तापमान वाले स्थानों में काम करने से बचें । यदि आपका वजन अधिक है तो शरीर के वजन को कम से कम 10 प्रतिशत घटाना आपके गर्भवती होने की क्षमता में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
आईवीएफ एक सफल प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
- डॉक्टर का चुनाव: सबसे पहले, आपको एक अनुभवी और योग्य आईवीएफ डॉक्टर का चुनाव करना चाहिए। डॉक्टर को आईवीएफ प्रक्रिया में सफलता का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए और आपके साथ आपकी सभी चिंताओं और सवालों पर खुलकर बात करने में सक्षम होना चाहिए।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: आईवीएफ प्रक्रिया शुरू करने से पहले, आपको और आपके साथी को दोनों को ही शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। इसका मतलब है कि आपका वजन स्वस्थ सीमा के अंदर होना चाहिए, आपको कोई गंभीर बीमारी नहीं होनी चाहिए और आप मानसिक रूप से तनाव का सामना करने के लिए तैयार हों।
- जीवनशैली में बदलाव: आईवीएफ की सफलता दर बढ़ाने के लिए, आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने होंगे। धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करना, स्वस्थ भोजन खाना, नियमित रूप से व्यायाम करना और पर्याप्त नींद लेना महत्वपूर्ण है।
- दवाएं: डॉक्टर आपको अंडे की संख्या और गुणवत्ता में सुधार करने के लिए दवाएं लिख सकते हैं। इन दवाओं के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनके बारे में आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
- सकारात्मक रहना: आईवीएफ एक तनावपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है, इसलिए सकारात्मक रहना और धैर्य रखना महत्वपूर्ण है। अपने साथी और परिवार से समर्थन लें और यदि आपको कोई समस्या हो तो डॉक्टर से बात करें।
आईवीएफ की प्रक्रिया कैसे होती हैं ?
यदि आप आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए किसी विशेषज्ञ डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह पहले जांच करेंगे और आपकी मेडिकल हिस्ट्री को जानेंगे तथा यह भी पता लगाने की कोशिश करेंगे की प्रेगनेंसी न होने का कारण क्या हैं ? आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमें महिला प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती हैं, इस पूरी प्रक्रिया को समाप्त होने में 3 हफ्ते लग जाते हैं। यदि हम बात करे की आईवीएफ की प्रक्रिया कैसे होती हैं तो वह कुछ इस प्रकार होती हैं –
चरण-1: सबसे पहले डॉक्टर बर्थ या एस्ट्रोजन की दवाई लेने को कहते हैं जिससे की पीरियड्स की समस्या नहीं होती हैं और ओवेरियन सिस्ट होने का खतरा भी कम रहता हैं तथा डॉक्टर इलाज पर अधिक नियंत्रण रख सकते हैं।
चरण-2: पीरियड्स के दौरान केवल एक अंडा ही होता है और उसी दौरान रिलीज भी होते हैं। लेकिन आईवीएफ प्रक्रिया में, विशेषज्ञ मरीजों को हार्मोन का इंजेक्शन देते हैं, जिससे कई अंडे एक साथ मैच्योर हो जाते हैं और गर्भधारण होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाए। यह इंजेक्शन अंडों को मैच्योर बनाता है। इस प्रक्रिया के 33-36 घंटों के बाद डॉक्टर एग रिट्रीवल यानी अंडाशय से अंडे निकालने की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
चरण-3: इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर महिला के अंडाशय से मैच्योर एग को निकालते हैं। इसे पूरा होने में लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है। इस प्रक्रिया के दौरान लगभग 8-16 अंडो को निकाला जाता है।
चरण-4: अंडो को निकालने के बाद स्पर्म कलेक्ट किया जाता हैं और लैब में दे दिया जाता हैं उसके बाद अच्छे और ख़राब शुक्राणुओं को अलग-अलग कर दिया जाता हैं। उसके बाद अंडे और स्पर्म को फ़र्टिलाइज़ होने के लिए रख दिया जाता हैं। कुछ दिनों बाद भ्रूण तैयार हो जाता हैं और फिर एक कैथेटर की मदद से उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता हैं।
चरण-5: भ्रूण ट्रांसफर के बाद लगभग 9 से 14 दिनों बाद, गर्भावस्था की जांच के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण का सकारात्मक परिणाम गर्भावस्था की पुष्टि करता है।
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