कार्डियक अरेस्ट के इलाज के लिए हॉस्पिटल (hospitals for cardiac arrest treatment)

दिल शरीर के कठिन अंगो में से एक होता हैं। कार्डियक अरेस्ट एक बहुत गंभीर बीमारी होती हैं यह दिल से सम्बंधित होती हैं अधिकतर मामलो में यह बीमारी जानलेवा साबित हुई हैं। इस बीमारी में दिल की धड़कन बंद हो जाती हैं जिससे मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती हैं। कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारी होने की आशंकाओं को कम करने के लिए जीवनशैली पर अधिकतर ध्यान देने की आवश्यकता होती हैं।

 

कार्डियक अरेस्ट हृदय की पम्पिंग क्रिया को बाधित कर देता हैं जिसे की शरीर में रक्त का प्रवाह भी रुक जाता हैं। कार्डियक अरेस्ट के दौरान यदि व्यक्ति को मेडिकल ट्रीटमेंट न मिल पाए तो कुछ मिनट में व्यक्ति की मृत्यु हों सकती हैं यह बहुत तेजी से आता हैं तथा मरीज को संभलने का समय भी नहीं मिल पाता।

 

 

 

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण क्या होते हैं? (cardiac arrest symptoms in hindi)

 

 

कार्डियक अरेस्ट अचानक आने वाली बीमारी है। भले ही कार्डियक अरेस्ट एक अप्रत्याशित स्थिति हैं ,लेकिन पूर्ण से इस बीमारी से प्रभावित होने से पहले कुछ लक्षणों को महसूस कर सकते हैं –

 

  • छाती में दर्द।
  • साँस फूलना।
  • चक्कर आना।
  • आखों के आगे अँधेरा छा जाना।
  • बेहोश आना।
  • आमतौर पर भयभीत महसूस करना।
  • मतली और उलटी।
  • साँस लेने में परेशानी।

 

 

कार्डियक अरेस्ट होने के कारण क्या होते हैं ? (cardiac arrest causes in hindi)

 

 

कार्डियक अरेस्ट आने का सामान्य कारण जीवनशैली का पालन अच्छे से न करना ही होता हैं। कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारी का सम्बन्ध दिल से होता हैं। डॉक्टर के अनुसार कार्डियक अरेस्ट के कुछ कारण बन सकते हैं जैसे की –

 

  • गतिहीन जीवनशैली।
  • पोटैशियम की या फिर मैग्नीशियम की अधिक कमी होना।
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • वजन का अधिक होना।
  • डायबिटीज ( मधुमेह ) ।
  • धूम्रपान अधिक करना।
  • यदि पहले कभी हार्ट अटैक आया हो तो उसके कारण भी कार्डियक अरेस्ट जैसी परेशानी हो सकती हैं।
  • नशीले पदार्थो का दुरूपयोग।
  • पुरुष को 45 की उम्र में तथा महिलाओं को 55 की उम्र में कार्डियक अरेस्ट हो सकता हैं।
  • हाई कोलेस्ट्रॉल
  • अधिक खासी आना तथा अधिक पसीना आना।

 

 

 

कार्डियक अरेस्ट का इलाज किस प्रकार होता हैं ? (cardiac arrest treatment in hindi)

 

 

यदि किसी व्यक्ति को अचानक कार्डियक अरेस्ट आता हैं तो उन्हें तुरंत ही अपने नजदीकी अस्पताल में जाना चाहिए या फिर आपातकालीन नंबर पर कॉल करके मदद मांगनी चाहिए। डॉक्टर के अनुसार कार्डियक अरेस्ट के इलाज कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं।

 

सीपीआर: अचानक से होने वाले कार्डियक अरेस्ट के लिए सीपीआर काफी महत्वपूर्ण होता हैं यदि मरीज को समय पर सीपीआर की मदद मिल जाये तो उसे मरीज की जान बच सकती हैं। सीपीआर शरीर के महत्वपूर्ण अंगो में ऑक्सीजन युक्त खून के भाव को संतुलित करके मरीज को जीवन प्रदान कर सकता हैं।

 

डेफीब्रिलेशन: कार्डियक अरेस्ट में डेफीब्रिलेशन बहुत जरूरतमंद होता हैं। यह वेंट्रिक्युलर डेफीब्रिलेशन के लिए एडवांस केयर होता हैं। आमतौर पर इसका काम छाती की दिवार के माध्यम से हृदय तक एक इलेक्ट्रिकल शॉक पहुंचना होता हैं। इसकी वजह से हृदय फिर से सामान्य धड़कनो की लेय पकड़ लेता हैं।

 

दवाएँ: यदि किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट होता हैं यदि उसे दवाइयों के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं तो डॉक्टर मरीज को एंटी – एरिथमिक जिसे की दिल की धड़कनो को नियंत्रण करने वाली दवा कहा जाता हैं उसक उपयोग करते हैं और मरीज को सामान्य अवस्था में लाने का प्रयास करते हैं।

 

इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डेफिब्रिलेटर: जब स्थिति नियंत्रण में आ जाती हैं तब डॉक्टर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर -डेफिब्रिलेटरका सुझाव देते हैं यह लगातार हृदय की लेय पर नज़र रखता हैं तथा सामान्य रूप से मरीज को ठीक करने की कोशिश करता हैं।

 

 

कार्डियक अरेस्ट के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल। (Best hospitals for cardiac arrest treatment in hindi)

 

कार्डियक अरेस्ट के इलाज के लिए बेस्ट अस्पताल।

 

कार्डियक अरेस्ट के इलाज के लिए दिल्ली के बेस्ट अस्पताल – (cardiac arrest treatment best hospitals in Delhi)

 

 

 

कार्डियक अरेस्ट के परीक्षण (cardiac arrest diagnosis in hindi)

 

 

कार्डियक अरेस्ट के कारण की जाँच करने के लिए डॉक्टर द्वारा करे गए कुछ परीक्षण इस प्रकार होते हैं। 

 

ब्लड टेस्ट: एंजाइम की जाँच करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता हैं इसकी मदद से यह पता चल जाता हैं की कही मरीज को हार्ट अटैक तो नहीं आया था। डॉक्टर खून की जाँच शरीर में केमिकल्स और हार्मोन तथा खनिज आदि की जाँच करने के लिए करते हैं।

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी): यह टेस्ट हृदय की गतिविधियों को मापने के लिए किया जाता हैं तथा इसकी मदद से यह पता चलता हैं हृदय क्षतिग्रस्त किसी जन्मजात हृदय रोग के कारण हुआ हैं या फिर हार्ट अटैक के कारण हुआ हैं।

नुक्लिअर वेंट्रिकलोग्राफी: इस टेस्ट का इस्तेमाल यह देखने के लिए किया जाता हैं की हृदय कितने अच्छे से खून पंप कर रहा हैं।

 

 

कार्डियक अरेस्ट के बचाव के लिए क्या करना चाहिए। (Cardiac arrest precautions in hindi)

 

यदि किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट होता हैं और वह सामान्य रूप से ठीक हो जाता हैं तो उन्हें कई चीज़ो का पालन करना आवश्यक होता हैं ताकि कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारी दुबारा न हो –

 

  • वजन को नियंत्रण में रखना बहुत आवश्यक होता हैं।

 

  • कार्डियक अरेस्ट से बचने के सबसे जरुरी होता हैं स्वस्थ रहना और फिट रहना जिसके लिए मरीज को सुबह शाम कसरत की जरुरत होती हैं।

 

  • कम कोलेस्ट्रॉल तथा कम कार्बोहाइड्रेट्स वाले भोजन का सेवन करे जो की पौष्टिक भी होना चाहिए।

 

 

  • शराब तथा धूम्रपान का सेवन बिलकुल खत्म कर दे क्योकि यह दोनों हार्ट प्रॉब्लम का सबसे बड़ा कारण बनता हैं और हानिकारक होता हैं।

 

  • मीठा कम से कम खाये क्योकि मीठा खाने से वजन अधिक बढ़ता हैं और वजन का अधिक बढ़ना मरीज के लिए घातक साबित होता हैं।

 

  • यदि किसी व्यक्ति को मधुमेह और रक्तचाप जैसी परेशानी हो तो उन्हें इसका इलाज नियमित रूप से करना चाहिए क्योकि उच्च रक्तचाप तथा मधुमेह की समस्या बढ़ने से हृदय गति रुक सकती हैं जिससे की कार्डियक अरेस्ट हो सकता हैं।

 

  • अधिक तेल तथा मसालेदार खाने का सेवन बहुत कम करे।

 

 

 

यदि आपको इससे जुड़ी कोई समस्या है और अगर आप इसका इलाज पाना चाहते हैं तो हमसे संपर्क कर सकते हैं। हमसे संपर्क करने के लिए हमारे इस व्हाट्सएप नम्बर (+919599004311) या हमें connect@gomedii.com पर ईमेल कर सकते हैं।

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