मधुमेह में गुर्दे की बीमारी होना आम बात है। क्योंकि गुर्दे का कार्य पेशाब बनाने के लिए रक्त से मल और अतिरिक्त पानी को साफ करना होता है और गुर्दे रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हार्मोन बनाने के बाद शरीर को स्वस्थ रखता है। जब मधुमेह में गुर्दे की बीमारी होती है तो गुर्दा रक्त की सफाई करना बंद कर देते है।
जिसके कारण मधुमेह की समस्या और बढ़ जाती है और मधुमेह में गुर्दे की बीमारी वाले मरीज सामान्य गुर्दे की बीमारी से पीड़ित मरीज की तुलना में अधिक पीड़ित होते है और मधुमेह के मरीजों में लम्बे समय से मधुमेह होने के कारण और भी कई समस्याएं होती है जैसे की कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप और रक्त वाहिका रोग आदि।
मधुमेह में गुर्दे की बीमारी के होने और बढ़ने के कारण
जब मधुमेह में गुर्दे की बीमारी होती है तो उसके साथ साथ रक्त वाहिकाएं भी ख़राब हो जाती है। जिसके कारण गुर्दा ठीक से काम नहीं कर पाता है और मधुमेह में उच्च रक्तचाप की भी समस्या होने लगती है।
अगर रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक होती है, तो गुर्दे की बीमारी होने की समस्या बढ़ जाती है:
- रक्तचाप बहुत अधिक होने से
- धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन करने से
- ज्यादा नमक वाला भोजन खाने से
- मधुमेह में खाने के योजना का पालन ना करने से
- वजन अधिक बढ़ने के कारण
पहले से किसी दिल की बीमारी या पारिवारिक मधुमेह होने के कारण भी गुर्दे की समस्या हो सकती है।
दरअसल मधुमेह के उपचार का मुख्य उद्देश्य रक्त शर्करा को नियंत्रित करना है। क्योंकि इसी की वजह से उस व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ता है। जबकि मधुमेह वाले व्यक्ति को दैनिक कार्य को फिर से शुरू कर देना चाहिए। उनके लिए सारा दिन आराम करना भी उनके स्वास्थ्य को खराब कर सकता है। मधुमेह के तीन प्रकार होते हैं टाइप 1, 2 और 3।टाइप 3 को अभी तक अल्जाइमर का भी एक रूप कहा जाता है। हालांकि अभी इस पर शोध चल रहा है। मधुमेह के उपचार के साथ-साथ इंसुलिन के महत्व को आपके लिए समझना चाहिए।
आज के समय में लोग अपनी जीवन शैली में बदलाव करेंगे तो इस तरह की बीमारियों से बचे रहेंगे। ऐसा करने से आप कई अन्य बीमारियों से भी बचे रह सकते हैं। अगर हम गुर्दे की बात करें तो इसके पीछे आपकी खान-पान की गलत आदतें ही जिम्मेदार होती हैं इसकी वजह से आपका स्वास्थ्य बार-बार खराब होता है। एक बार गुर्दा खराब होने पर या तो उस व्यक्ति को डायलेसिस पर रखा जाता है या बहुत ज्यादा खराब स्थिति में उसकी किडनी का ट्रांसप्लांट किया जाता है। जब एक बार किडनी का ट्रांसप्लांट हो जाता है तब उस व्यक्ति को डायलेसिस की जरुरत नहीं होती है। लेकिन ऐसे भी कुछ मरीज होते हैं जिन्हें ट्रांसप्लांट के बाद भी डायलेसिस की जरुरत पड़ती है।
कैसे पता चलेगा कि मेरा गुर्दा खराब है?
शुरुआती गुर्दे की क्षति वाले अधिकांश लोगों में गुर्दे के खराब होने के लक्षण नहीं पता चलते हैं। किडनी के खराब होने का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है कि साल में एक बार यूरिन टेस्ट जरूर कराएं। यह टेस्ट पेशाब में बहुत कम मात्रा में प्रोटीन की जाँच करता है। यह मधुमेह वाले लोगों में प्रारंभिक अवस्था में गुर्दे के खराब होने के लक्षणों को दिखाने में मदद करता है। किडनी की बीमारी से ग्रसित सभी की किडनी फेल नहीं होती। यदि सही समय पर पता चल जाता है तो सही उपचार से आप किडनी की बीमारी को ठीक कर सकते हैं।
मधुमेह में गुर्दे को स्वस्थ रखने के उपाय
- मधुमेह में गुर्दे को स्वस्थ रखने के लिए रक्त में ग्लूकोज और रक्तचाप की मात्रा को नियंत्रित रखने का प्रयास करना चाहिए
- खान पान पर नियंत्रण रखना चाहिए
- डॉक्टर के अनुसार ही निर्धारित ओर समय पर अपनी दवाइयों का सेवन करना चाहिए
- धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन करना बंद कर देना चाहिए
- वजन पर नियंत्रण रखने का प्रयास करे।
यदि आपको भी ऐसी कोई समस्या है तो आपको तुरंत हमारे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ऐसे में लापरवाही करना आपकी सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। आपके शरीर का स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है जब आप बीमारी रहते हैं तो ये आपके साथ साथ आपके घरवालों के लिए भी बड़ी मुसीबत की वजह बनता है।
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